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बारिश के मौसम में हमारा खान-पान कैसा हो।

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बारिश के मौसम में हमारा खान-पान कैसा हो।  बरसात के मौसम में पाचन संबंधी शिकायतें-   इसमे डायरिया, अपचन आधी समस्या प्रमुख है, इसलिए हम कुछ सावधानियां अपना सकते है।  योग्य आहार ले तो काफी हद तक हमें इस समस्या से छुटकारा मिलता है। इस मौसम में आसानी से पचने वाला भोजन लेना चाहिए। खाने में हरी सब्जी, घी, पुदीना आदी का समावेश करना चाहिए।  साथ ही अनाज में चावल, गेहूं, मूंग की दाल, ले सकते हैं। इसके अलावा धनिया, अदरक, काली मिर्च का उपयोग ज्यादा लाभदायक होता है।   पचने में जड़ अनाज खाना बंद करे - खाने में मसुर, मक्का, आलू,  उड़द, चने की दाल जैसे गैस बनाने वाले अनाज खाने से बचना चाहिए। बरसात के दिनों में खट्टी चीजें जैसे जैम, अचार आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।  फ्राइड पदार्थ से दूर ही रहना अच्छा होता है। इसके जगह हरी सब्जी दाल रोटी साथ में सलाद लेना काफी फायदेमंद साबित होता है।   बारिश के मौसम में स्नेक्स और कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन भी टालना चाहिए।  पानी  बारिश के दिनों में ज्यादा बीमारियों का मुख्य स्त्रोत पीने का पानी होता है। बारिश के दिनों में पानी में हानिकारक द्रव घुलते है, इसलिए पीने का पान

रक्त संचार तंत्र और उसके घटक।

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 रक्त संचार तंत्र मानव रक्त मानव शरीर में बहने वाला जीवनदाई द्रव है। हम इसके बिना जिंदा नहीं रह पाते ।शरीर की सभी कोशिकाओं को रक्त हमारा दिल देता हैै, तथा उन्हें ऑक्सीजन और भोजन पहुंचाता हैै। इसके साथ ही रक्त कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य आवश्यक पदार्थ बाहर निकलता है, यह रोगाणुओं से लड़ता है । हमारा शरीर का तापमान ठीक रखता है, तथा शरीर के कई कार्यों को पूरा करने वाले रसायनों को पहुंचाता है।  रक्त में ऐसे तत्व होते हैं जो टूटी रक्त नालियों का मार्ग रुकाते है। ताकि ज्यादा खून निकलने से हमारी मौत ना हो जाए । हमारे शरीर में खून की मात्रा इस पर निर्भर करती है कि हमारा आकार क्या है तथा हम कितनी ऊंचाई पर रहते हैं ।     80 किलोग्राम वजन के एक वयस्क में लगभग 5 लीटर खून होता है एक किशोर जिसका वजन 40 किलोग्राम है उसमें ढाई लीटर खून होता है । तथा 4 किलोग्राम के शिशु में ढाई सौ मिली खून होता है जो लोग ऊंचे स्थानों पर रहते हैं,  जहां ऑक्सीजन कम होता है उनमें नीचे रहने वाले लोगों की अपेक्षा 2 लीटर ज्यादा खून होता है । यह अतिरिक्त रक्त शरीर की कोशिकाओं  को अतिरिक्त ऑक्सीजन प्रदान करता है।   रक्त के कार्य

वजन कम कैसे करें?

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वजन कम कैसे करें? आज की दौड़ भरी जिंदगी में हमें स्वास्थ्य प्रति जागरूकता का अभाव और हमारी मॉडर्न जीवन शैली में हम कुछ आदतें समय बचाने के चक्कर में हमारे स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर करती है, जैसे काम को पूरा करने के लिए हम भूख लगने के बाद भी खाना ना खा कर काम करते-करते कुछ चटपटी चीजें जैसे वडापाव आदि का उपयोग करते हैं इससे काम तो होता है पर हमारे स्वास्थ्य पर यह आदत बन बनकर कई समस्या को जन्म देती है। इसमें से शारीरिक वजन बढ़ना यह एक प्रमुख लक्षण है।  शारीरिक वजन बढ़ने के बाद हमें कई समस्या आती है जिससे कम करने के लिए हम हमारा शारीरिक वजन कम करना जरूरी समझते हैं। तो इसके लिए हम कई तरीके अपनाते हैं कई बार लोग वजन कम करने के लिए भरपूर पैसा दवाइयों पर खर्च करते हैं और औषधि लेते हैं जिसका शरीर को नुकसान भी पहुंचता है।     शारीरिक वजन कम करने के लिए सही और सुरक्षित तरीके के। वजन कम करने वाले प्रथम था यह बात को अच्छी तरह से समझना होगा कि हमारे शरीर में जो फैट जमा हुआ है वह 1 या 2 दिन में जमा नहीं हुआ है, तो इसे कम करने में भी धैर्य और निरंतरता की आवश्यकता होगी। शरीर स्वस्थ एक साधना होती है, जो

भुजंगासन करने की विधि और लाभ।

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 भुजंगासन करने की विधि और लाभ। इस आसन मे हमारा शरिर पैर से लेकर नाभी तक ज़मीन पर होता है। और उपर का हिस्सा दोनों हाथ सामने रखकर उठाया जाता है। यह अवस्था मे हमारा शरीर सांप या भुजंग की तरह दिखाई देता है। इसलिए इस आसन को भुजंगासन कहा जाता है।  भुजंगासन करने की विधी। 1 प्रथम आपको जमिनपर पेट के बल लेट जाना। इस अवस्था में हमारा माथा जमीन से टिका हुआ चाहिए। 2 शरीर को शिथिल कर दोनों हाथो को सीने के बाजू मे रख दे। 3 अब हाथ को सीधा कर ले इस अवस्था मे नाभी से शरीर को उपर उठा ले। 4 इस अवस्था मे अपनी नजर उपर की तरफ रखे, शरीर के कमर से नीचे का हिस्सा जमीन पर रखे हिलने ना दे। 5 पैर की उंगलियों को जमिपर रखे, गर्दन उपर की और रखे जिससे पेट पे अच्छा खीचाव आएगा। 6 इस स्थिती मे 10 सेकद अपनी सांस रोके रखे, बाद धीरे- धीरे मूल स्थिती में आए। भुजंगासन के लाभ। 1इस आसन के नियमित सराव से पीठ दर्द के सभी व्याधि से छुटकारा मिलता है। 2 पेट की समस्या मे भी यह आसन लाभदायक है। 3 हमारे कंधे के स्नायू मजबूत होते है। 4 इस आसन के नियमित सराव से फेफड़ों को कार्य क्षमता बढ़ती है। 5 हमारे शरीर का बांधा सुडौल बनता है। भुजंगा

नियमित व्यायम करने के लाभ ।

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  नियमित व्यायम करने के लाभ । आज की दौड़ भरी जीवन शैली में हमे आज खुद के लिए समय देना मुश्किल हो गया है। हम शिर्फ़ यंत्र के भाती दौड़ते रहते है। डर रहता है की हम अगर रुक जाएंगे तो, हम जमाने के पीछे रह जाएंगे और  इसलिए हम हमारी जिवन शैली काफी  पिछे छोड चुके है। इसका नुकसान भी हमे उठाना पड़ रहा है। आज कई गंभीर बीमारी का प्रमाण भी बढ़ गया है, इसके लिए हमारे जीवन शैली काफी हदतक जिम्मेदार है।  स्वास्थ रहणे का आसन तारिका  -  नियमित व्यायाम - हमे शाररिक और मानसिक रूप से तंदूरूस्त रहने के लिए नियमित व्यायाम करना बहुत जरुरी है, जिससे हमारी सभी स्नायु की तंदूरस्ती का राज छुपा है।  व्यायाम का पाचन क्रिया पर प्रभाव-  हम जो खाना खाते हैं, उसका सही तरह से पाचन होने में व्‍यायाम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। व्यायाम से हमे अच्‍छी भूक लगती है, और पाचन क्रिया सुधारने मैं भी मददगार होता है। शरिर मे मौजूद विषारी द्रव्य को बहार निकलना-  जब हम खूब व्यायाम करते हैं, तो हमारे पसीने के साथ काई हानिकारक विशारी द्रव शारिर से पसिने के रूप मे बहार निकल जाते हैं। जिससे की हम स्वास्थ रहते हैं। एकाग्रता और चित्त प्र

सेल्फ डिफेंस में थप्पड़ की मार से कैसे बचे?

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 सेल्फ डिफेंस में थप्पड़ की मार से कैसे बचे?  जब कोई भी हमें मारता है तो वह पहले मुंह पर थप्पड़ जड़ा देता है। यहीं से आगे की शुरुआत होती है, इसलिए यही वक्त होता है कि आप उसे अपनी ताकत का परिचय दें ।  तो चलो इस हालत में निपटने का तरीका जान लेते हैं।  थप्पड़ की मार से बचने का तरीका। जब कोई तुम्हें मारने की कोशिश करता है तो उस वक्त हमें अधिक चौकन्ना रहने की जरूरत होती है। उस दशा में हमें खड़े रहने का (स्टांस) तरीका महत्वपूर्ण होता है। इसलिए इस समय हमारी पैर की पोजीशन आगे पीछे रहनी चाहिए। जिससे कि हमें हलचल करने में आसानी हो। जब भी सामने वाला हम पर हाथ उठा दे, इस समय हमें एक कदम पीछे हटकर उसके विपरीत हाथ को अपने चेहरे के सामने लाकर। उसके हाथ को दूर करने की कोशिश करनी है, जैसे ही वह चाटा मारे, तभी एक हाथ से उस हाथ को रोक कर दूसरे हाथ से उसके मुंह या नाक पर जोरदार घूंसा मारना है। जिससे कि वह तड़प उठे, अब इस अवस्था का हमे पूरा लाभ उठाकर और जोर का प्रहार करके उससे बच सकते हैं। तकनीक का वीडियो

सेल्फ डिफेंस क्या है?

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 सेल्फ डिफेंस!  सेल्फ डिफेंस क्या है?  सेल्फ डिफेंस में अपनी जान बचाने के लिए की जाने वाली हर वह हरकत है, जो अपने- आप को बचाने में मददगार हो। जैसे कोई कुत्ता पीछे पड़ जाने पर हम पहले उसे दूर भगाने के लिए। हπड अदी शब्दों से उसे आवाज लगाते हैं।    उसके बाद हम आस-पास कोई पत्थर या लकड़ी से उसे भगाने का प्रयास करते है, और बाद में मौका देखकर हम वहां से बच निकलते हैं। इसी तरह अगर हमें कभी अपने से ताकतवर इंसान से लड़ना पड़े तो हमें पूरी  प्रसंगावधान और सूझबूझ से लड़ना होता है और खुद पर भरोसा रख कर पूरे आत्मविश्वास के साथ लडकर उससे निपट सकते हो।      शरीर के कमजोर हिस्से पर जोर का प्रहार- मानवी शरीर में बहुत सी कमजोर या नाजुक जगह होती है। जहां हलकासा प्रहार भी काफी दर्द देता है। ऐसे ही जगह पर जोर का प्रहार कर हम अपनी दुश्मन को धूल चटा सकते हैं।  तो आज हम घुटने का उपयोग करना सीखेंगे। जब कोई आपको सामने से कंधे से पकड़ ले इस अवस्था में पहले आप अपने पैर को थोड़ा सा खोल ले और जैसे वह आपको और खिंचने की कोशिश करें, पिछला पैर घुटने से मोड़कर अपने घुटने से उसके दो टांगों के बीच या पेट में? जोर से प्रहार

नारी आदिशक्ति। सेल्फ डिफेंस ट्रिक।

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 नारी आदिशक्ति। सेल्फ डिफेंस ट्रिक। आज की पोस्ट  हमारे अपनी माता- बहनों के लिए है। आज  हमारे समाज मे हो रहे महिला शोषण, अपराध, अत्याचार को  देखकर महिलाओं को ज्यादा अलर्ट, जागरूक तथा अपनी शक्ति को पहचानने की जरूरत है। महिला कभी कमजोर नहीं होती, बल्कि आदि शक्ति के रूप में महिलाओं की पहचान है। इसलिए मेरी माता- भगिनी उसे अपनी दुर्बलता को त्यागकर हर परिस्थिति में डटकर मुकाबला करने की जरूरत होती है। इसलिए इस   सेल्फ़ डिफेन्स के माध्यम से मैं शुरुआत कर रहा हूं। आशा है आप सब मेरे साथ जुड़कर कुछ नया सिर्फ सेल्फ डिफेंस तकनीक सीख कर खुद को शक्तिशाली बनाएंगे।   तो शुरू करते हैं आज की पहली कराटे की तकनीक। कमर की पकड़ को छुड़ाने के तरीका। जब कोई हमे पीछे से कमर पकड़े तो सबसे पहले आप अपने पैरों को थोड़ा खोलकर  अपने दोनों पैर थोडा एक साइड करले। अब नीचे ज़ुककार दोनों हाथो से उस व्यक्ति का बाहरी पैर पूरे ताकत से ऊपर तक उठा ले। यह क्रिया आपको पूरे ताकत और चपलता के साथ करनी है। अब जैसे ही वह जमीन पर गिरे, आपको जोर का प्रहार कर खुद को बचाना है। Self defense video नोट- प्रैक्टिस करते समय खुली जगह का प्रयोग करें।

कुश्ती खेल की पूरी जानकारी।

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  कुश्ती। मौजूद शिलालेख से कुश्ती का उगम भारत में हुआ है। यह साबित होता है प्राचीन काल में मल्ल- विद्द्या के नाम से कुश्ती को जाना जाता था। रामायण और महाभारत में हनुमान और भीम इनको मल्लविद्या के आदय देवता माना जाता है। भारत के साथ ही इजिप्त में इ.स. 3000 मे कुश्ती का विकास हुआ है, यह दिखाई देता है।   आधुनिक युग में कुश्ती के ग्रीको रोमन और फ्रीस्टाइल यह दो प्रकार प्रचलित है। ग्रामीण परिसर में कुश्ती खेल काफी लोकप्रिय है। इस खेल में स्पीड, ताकत, दमखम, लचीलापन, बैलेंस और समन्वय इन क्षमता की आवश्यकता होती है।   आधुनिक कुश्ती का मैदान। कुश्ती खेल 12 * 12 मीटर की फॉम की मॅट पर खेला जाता है। मॅट की जाड़ी 5 से 6 सेंटीमीटर होती है। या मॅट जमीन से 110 सेंटीमीटर ऊंचाई पर प्लेटफॉर्म पर रखी होती है। मॅट के बीच में 1 मीटर का वर्तुल होता है जिसका रंग पीला होता है। 1 मीटर के वर्तुल से सेंटर पॉइंट  से 9 मीटर के व्यास का दूसरा वर्तुल निकाला जाता है। इसमें भी 1 मीटर का लाल रंग का वर्तुल होता है। कुश्ती की शुरुआत 1 मीटर के वर्तुलाकार गोल से होती है। कुश्ती वजन गट( शालेय स्पर्धाओं के लिए) 14 वर्ष आयु के ल

फिट रहने का जबरदस्त फंडा।

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 फिट रहने का जबरदस्त फंडा।  आज हमारी लाइफ स्टाइल काफी बिजी हो गई है। काम की भरमार और मौजूदा नई- नई बीमारी के चलते हमें कई बार गंभीर बीमारी या समस्या का सामना करना पड़ता है। अभी करोना दौर में सभी अस्पताल रोगियों से भरे पड़े हैं। इसलिए हमें आज हॉस्पिटल का खर्चा और अपना वक्त का सही सदुपयोग करने के लिए थोड़े एक्सरसाइज करें तो हम खुद को फिट रख सकते हैं। यह हॉस्पिटल का खर्चा भी बचाता है। इसलिए सस्ता और असरदार तरीका फायदेमंद साबित होता है।  इसलिए हम आज 15 मिनट वर्कआउट के बारे में जाने वाले हैं। 1 स्पॉट रन-  इसमें आपको लगातार 2 मिनट तक एक जगह पर दौड़ करनी है। 2 जंपिंग जैक- इसमें हाथ और पैर। को एक साथ हवा में उछल कर। ऊपर की ओर हाथ मिला ले। और नीचे आते ही हाथ और पैर बंद कर ले यह लगातार आपको 1 मिनट से अधिक करना है।  3 1 मिनट बर्फीज करें - यह एक्सरसाइज में एक जगह पर उछलकर अपने हाथ और पैर को पीछे मुड़कर हवा में उछालना है फिर खड़े होने के बाद पूश अप पोजिशन में आना है। जम्प के साथ पैर हाथ के पास लाकर खड़े होना है इस तरह से यह क्रिया लगातार करनी है।  4  1 मिनट हाय नी रनिंग - इसे आप को एक जगह पर खड़

भरपेट खाने के बाद भी , बार - बार भूख क्यू लगती है।

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  बार बार भूख लगने के कारण।  भरपेट खाना खाने के बाद भी अगर कुछ समय में भूख लगती है, तो इसके पीछे जो विशेष कारण होते हैं वह जान लेते हैं। 1 योग्य मात्रा में प्रोटीन न लेना-  शरीर में प्रोटीन की कमी से बार बार भूख लगती है। इसके लिए खाने मे मांस, मछली, चिकन और अंडे का सेवन करना चाहिए। 2 पूरी नींद न लेना-  नींद पूरी लेने से भूख का संकेत देने वाला घ्रलीन हार्मोन कंट्रोल में रहता है। अगर नींद पूरी नहीं हुई तो यह हार्मोन पढ़कर बार बार भूख लगती है। 3 मैदे के पदार्थ को खाने में ज्यादा इस्तेमाल करना। इस खाने में फाइबर की मात्रा कमी होती है इसलिए भी जल्दी भूख लगती है। इसके बदले हम। खाने में हरी सब्जी, फल और कड़धान्य का इस्तेमाल करना चाहिए।   4 आहार में फॅट की कमी।  भोजन में फैट की मात्रा कम होने की वजह से भी जल्दी भूख लगती है। इसलिए खाने में मछली, अंडे आदि का प्रयोग करना चाहिए। 5 खाने में जल्दबाजी करना/ ध्यान न देना।  आज हम हमेशा जल्दी में रहते हैं इसलिए काम की बोझ से खाने में हम हरबड़ी कर लेते हैं। खाना जल्दी में खाते है।  इससे भी हमें बार बार भूख लगती है।  6 ज्यादा मात्रा में व्यायाम/ थकावट वाला