रक्त संचार तंत्र और उसके घटक।

 रक्त संचार तंत्र

रक्त संचार तंत्र


मानव रक्त मानव शरीर में बहने वाला जीवनदाई द्रव है। हम इसके बिना जिंदा नहीं रह पाते ।शरीर की सभी कोशिकाओं को रक्त हमारा दिल देता हैै, तथा उन्हें ऑक्सीजन और भोजन पहुंचाता हैै। इसके साथ ही रक्त कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य आवश्यक पदार्थ बाहर निकलता है, यह रोगाणुओं से लड़ता है । हमारा शरीर का तापमान ठीक रखता है, तथा शरीर के कई कार्यों को पूरा करने वाले रसायनों को पहुंचाता है।  रक्त में ऐसे तत्व होते हैं जो टूटी रक्त नालियों का मार्ग रुकाते है। ताकि ज्यादा खून निकलने से हमारी मौत ना हो जाए । हमारे शरीर में खून की मात्रा इस पर निर्भर करती है कि हमारा आकार क्या है तथा हम कितनी ऊंचाई पर रहते हैं ।

    80 किलोग्राम वजन के एक वयस्क में लगभग 5 लीटर खून होता है एक किशोर जिसका वजन 40 किलोग्राम है उसमें ढाई लीटर खून होता है । तथा 4 किलोग्राम के शिशु में ढाई सौ मिली खून होता है जो लोग ऊंचे स्थानों पर रहते हैं,  जहां ऑक्सीजन कम होता है उनमें नीचे रहने वाले लोगों की अपेक्षा 2 लीटर ज्यादा खून होता है । यह अतिरिक्त रक्त शरीर की कोशिकाओं  को अतिरिक्त ऑक्सीजन प्रदान करता है।


 रक्त के कार्य


1 ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन 

स्वसन धरातलो जैसे फेफड़ों से ऑक्सीजन ले जाना तथा उन्हें उत्तको तक पहुंचाना अंत रक्त सांस की प्रक्रिया में योगदान देता है।

 2 भोजन ले जाना 

रक्त आंतो से घुलनशील भोजन अर्थात - ग्लूकोस, एमिनो एसिड , पॉलिपेप्टाइड , विटामिन , वसा , खनिज तथा पानी पहले लीवर के पास ले जाती है , फिर शरीर के हर उस हिस्से में लिया ले जाता है जहां उसकी गतिविधियों के लिए उसकी आवश्यकता होती है।

 3 अवशेष पदार्थों का उत्सर्जन

 सभी कोशिकाएं ऐसे पदार्थ बनाती है जो शरीर के लिए हानिकारक होते हैं तथा उन्हें जल्द ही शरीर से बाहर निकलना आवश्यक है ऐसे पदार्थों को गुरदो , फेफड़ो त्वचा और आंत तक लाता है ताकि वह हटाए जा सके ।

4 जल संतुलन बनाना

 संचारित रक्त और उत्तकीय साइटोप्लाज्म में पानी के लगातार आदान-प्रदान द्वारा रक्त शरीर में जल संतुलन बनाए रखता है ।

5 पी एच बनाए रखना 

रक्त की प्लाज्मा प्रोटीन बफर तंत्र का काम करता करती है तथा रक्त के पीएच में होने वाले परिवर्तन को रोकती है।

6 रासायनिक समन्वय - एंडोक्राइन ग्रंथि नामक हार्मोन बनते हैं तथा उन्हें सीधा रक्त में छोड़ते हैं यह हार्मोन सीधे प्लाज्मा में प्रवेश करते हैं तथा रासायनिक दूत का काम करते हैं। जब एक हार्मोन शरीर के हिस्से तक पहुंचता है तो यह इसके विकास तथा प्रजनन प्रक्रिया को नियमित करता है ।

7 शरीर के तापमान का नियमन

 सभी कोशिकाएं गतिविधियों से गर्मी पैदा होती है परंतु कुछ कोशिकाए जैसे मांसपेशियां और ग्रंथियां दूसरे से अधिक ऊष्मा उत्पन्न करती है । यह उस्मा खून के प्रभाव में प्रवेश करती है तथा सारे शरीर में घूमती है फालतू उस्मा त्वचा के रास्ते बाहर निकल जाती है यदि हमारा रक्त यह ऊष्मा का वितरण न करें तो कुछ हिस्सों में बहुत अधिक गर्मी हो सकती थी जबकि दूसरे पूरी तरह से ठंडे रह जाते अंततः रक्त संचार उस्मा को वितरित करके शरीर के तापमान को नियमित करता है ।

8 संक्रमण से बचाव 

हमारे प्रतिरोधक तंत्र में सफेद रक्त कोशिकाएं बहुत महत्वपूर्ण योगदान देती है जिससे बीमारी फैलाने वाले पदार्थों से शरीर का बचाव होता है जब यह हानिकारक पदार्थ शरीर पर हमला करते हैं यह सफेद रक्त कोशिकाएं जागृत हो जाती है तथा इन बैक्टीरिया की को मारती है। प्लाज्मा में कुछ प्रोटीन भी बीमारियों से लड़ने में हमारी मदद करती है।

9 रक्त के थक्के बन्नना।

चोट के दौरान रक्त रक्त के नुकसान को रोकता है क्योंकि इसमें थक्के बनने की क्षमता है।

 10 स्थिर वातावरण को और उनको बल देना- शरीर की कोशिकाओं के लिए रक्त स्थिर वातावरण की स्थापना पर बल देता है।

 रक्त की संरचना 

रक्त एक संयुक्त करने वाला उत्तक है जिसमें कोशिकाएं होती है जो पानी जैसे तरल जिसे प्लाज्मा कहते हैं उस में तैरती है। इन कोशिकाओं को निर्मित तत्व कहते हैं क्योंकि इसका अलग अलग विशेष आकार होता है।

 इस निर्मित तत्वों को जो इन कोशिकाओं से बनते हैं इसके नाम है-

 1 लाल रक्त कोशिकाएं 

2 सफेद रक्षक रक्त कोशिकाएं तथा

 3 प्लेटलेट्स

 एक माइक्रो लीटर रक्त में लगभग 4 मिलियन से छह मिलियन लाल रक्त कोशिकाएं 5000 से 10000 सफेद रक्त कोशिकाएं तथा 150000 से 500000 तक प्लेटलेट्स होती है लाल और सफेद कोशिकाए को के कल भी कहते हैं रक्त का कुल वेतन लगभग 5 लीटर होता है।

 प्लाज्मा- प्लाज्मा स्ट्रा कलर का द्रव होता है। जो रक्त का एक भाग होता है यह कुल रक्त का 50% से 60% तक होता है इसमें 90  प्रतिशत पानी तथा 9% लटके हुए या घुले हुए पदार्थ होते हैं। इन पदार्थों में ऐसे प्रोटीन भी होते हैं जो थक्के बनाते हैं तथा संक्रमण से लड़ते हैं। इनमें घुले हुए भोज्य पदार्थ तथा विशिष्ट पदार्थ भी होते हैं प्लाज्मा हारमोंस का वाहक का वह भी है जो विकास तथा अन्य शारीरिक गतिविधियों में सहायक है।

 निर्मित तत्व

 निर्मित तत्व ऐसी कोशिका है जैसे एरथ्रो साइट तथा ल्यूकोसाइट तथा कोशिका

1 लाल रक्त कोशिकाएं- लाल रक्त कोशिकाएं जिन्हें एर थ्रो साईट भी कहते हैं। शरीर के उत्तको तक ऑक्सीजन पहुंचाती है तथा कार्बन डाइऑक्साइड हटाती है। लाल रक्त कोशिकाएं समतल डिस्क की तरह होती है यह किनारा किनारों की बजाए बीच में से प तली होती है। जैसे रिंग डफनेट का आकार होता है जिसके मध्य में छेद ना हो लाल कन कोशिकाओं में मुख्यता हीमोग्लोबिन होता है। जो ऑक्सीजन ले जाने वाला प्रोटीन होता है तथा कोशिका को लाल रंग प्रदान करता है कोशिका में रसायन विशेषकर एंजाइम होते हैं इन एंजाइम से कोशिकाएं अपना कार्य प्रभावी ढंग से करती है प्रत्येक लाल रक्त कोशिका के बाहर लचकदार झिल्ली होती है यह जिले इतनी लचकदार होती है।कि यह कोशिकाएं किसी भी पतली रक्त नलिका में घुस सकती है। इसके मध्य में नाभिका होती है जो कोसीका कोसी की गतिविधियों को नियंत्रित करती है वयस्क कोशिकाओं में नाभिका नहीं होती।

 2 सफेद रक्त कोशिकाएं

 सफेद रक्त कोशिकाएं जिन्हें ल्यूकोसाइट कहते हैं संक्रमण से तथा शरीर में घुसने वाले अन्य हानिकारक तत्वों से लड़ती है ज्यादातर कोशिकाएं गोल तथा रंगहीन होती है उनके बिना आकार तथा कई आकार की नाभिकाय होती है । कुछ कोसीकाय बैक्टीरिया को घेर कर उन्हें चट कर जाती है दूसरी तरह की कोशिकाएं एंटीबॉडीज बनाती है जैसे प्रोटीन जो बैक्टीरिया वायरस तथा अन्य हमलावरों को खत्म करते हैं जो शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।

 3 प्लेट्स -प्लेटलेट्स जिन्हें थ्रोम बोसाई ट कहते हैं । डिक्स के आकार के पदार्थ होते हैं जो खून बहने को रोकते हैं वहीं निर्मित तत्व है जब कोई रक्त नलिका कट जाती है तो वह कटी हुई नलिका के किनारे से एक दूसरे से जुड़ कर बन जाते हैं वह एक ऐसे रसायन छोड़ते हैं जो भी भोजन के साथ क्रिया करते अन्य प्लाज्मा प्रोटीन बनाते हैं जिससे खून के थक्के बनते हैं।

 खून के थक्के बनना- यदि खून के थक्के ना जमे तो व्यक्ति का खून बहने पर उसकी मृत्यु हो मृत्यु हो सकती है जब कोई रक्त नलिका क्षतीग्रस्त हो जाती है तो रक्त प्लेटलेट्स उसके किनारों से एक के बाद एक जम जाती है तथा प्लग बन जाती है प्लाज्मा में ऐसे प्रोटीन होते हैं जो तक के बन जाते हैं वे रक्त में निष्क्रिय घूमते हैं परंतु जब कोई नलिका क्षतिग्रस्त होती है तो प्लेटलेट जोड़कर प्लग बन जाते हैं तथा ऐसे रासायनिक बनाते हैं जो थक के बनाने वाले से क्रिया करते हैं तदुपरांत प्लाजमा प्रोटीन फ्रोजन को चिपचिपी फेवरेट में बदलते हैं यह चिपचिपी फिबरिन एक-दूसरे से उलझ कर एक जाल बुनते हैं जो लाल रक्त कणों को और प्लेटलेट्स को खून बढ़ने की जगह पर सील बंद कर देते हैं। खून के बहाव को रोक देती है।

रक्त संचार तंत्र

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