सूर्य नमस्कार करने की विधि और लाभ।
सूर्य नमस्कार प्राचीन व्यायाम पद्धति है। इसमें आसन किये जाते हैं और सांसों का भी नियंत्रण होता है। इसलिए इस क्रिया को आसन और प्राणायाम का संतुलन रूप समझा जाता है। सूर्य नमस्कार करनेकी 10 और 12 अवस्था प्रचलित है इसमें छोटे बच्चे लड़कियां और लडके पहली पद्धत और प्रौढ़ औरतें और ज्यादा उमर के पुरूषों को दूसरी पद्धत यानी 12 अवस्था वाली पद्धत ज्यादा फायदेशीर होती है। सूर्य नमस्कार करने से शरीर के ऊपर होने वाले परिणाम। सूर्यनमस्कार करते समय रीढ़ की हड्डी को आगे पीछे मोड़ा जाता है। इसके साथ ही पैर को भी आगे पीछे खिंचाव देने से अनेक स्नायु संकुचन और प्रसारण होने से रीढ़ की हड्डी में। लचीलापन बढ़कर रक्तचाप बढ़ता है। शंकाशन जैसे से आसान स्थिति में घुटनों का दबाव पेट पर पड़ने से जठर, यकृत, प्लीहा, किडनी और गर्भाशय आदि पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इससे उनकी कार्य क्षमता बढ़ती है। भुजंगासन स्थिति में गर्दन, छाती, पेट और पेट के अंत ग्रंथि, हृद्य, आंत, मूत्राशय, आदि अवयव का कार्य सुचारुू रूप से चलने में मदद होती है। दंड करते समय कंधे और छाती के स्नायु मजबूत बनते हैं। इससे हृदय और उसकी क्षमता बढ़ने म