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कैल्सियम की आवश्यकता।

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  कैल्सियम की आवश्यकता। कैल्शियम हमारे शरीर में अस्ति तथा दातों के लिए कैल्शियम की परम आवश्यकता होती है। कैल्शियम के अभाव में बालको की वृद्धि रुक जाती है। अस्थि रोग होने का भय रहता है, तथा दातों में दुर्बलता आ जाती है। दमा तथा चर्म रोग कैल्सियम के अभाव के कारण होते हैं।       कैल्सियम के स्रोत -    हरी सब्जियों दूध, पनीर, अंडे की जर्दी तथा मछली में कैल्शियम पाया जाता है । छोटे बच्चों को दूध देना अत्यधिक लाभदायक होता है, क्योंकि उसमें कैल्शियम पर्याप्त मात्रा में होता है।

सर्दियों के दिनों में व्यायाम शुरू करने वालों के लिए उपयुक्त टिप्स।

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  सर्दियों के दिनों में व्यायाम करना शुरू करने वालों के लिए उपयुक्त टिप्स।   आजकल हमारा मौसम का नैसर्गिक चक्र में थोड़ा बदलाव हुआ है, यह हम देख सकते हैं। इसके अनेक कारण है पर जैसे ही मौसम बदलता है हमारा शरीर इस बदल को बदलते मौसम के अनुसार एडजस्ट होने में थोड़ा, समय लेता है। पर कुछ बातों का हम अभ्यास कर हम थोड़ी सावधानी बरतें तो हम हर मौसम का मुकाबला कर सकते हैं।   ठंडी के दिन खिलाड़ी के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। अनेक नए शौकीन भी इस ठंडी के दिनों में व्यायाम करना शुरू करते हैं।  और हां यह सही भी है! क्योंकि ठंडी के दिनों में हम खाना ज्यादा खाते हैं। हमें बार- बार भूख लगती है। साथ ही सर्दी में पसीना भी कम आता है। इसलिए थकावट भी जल्दी नहीं होती। इसलिए सर्दियों में ज्यादा देर तक बिना थके वर्कआउट /व्यायाम कर सकते है।  तो इस मोसम का अच्छा मजा लेने के लिए हर उम्र के व्यक्ति ने अपने उमर के हिसाब से कुछ योग क्रिया, व्यायाम नियमित रूप से करना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। जिसे थंडी से होने वाली तकलीफ और अपनी शारीरिक शरीर मे गर्मी बनी रहती है।   तो सर्दी के दिनो मे व्यायाम करना शुरू करने से पहल

ठंडी के दिनों में स्वास्थ से जुड़ी इन बातों का ध्यान रखे।

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 ठंडी के दिनों में स्वास्थ से जुड़ी इन बातों का ध्यान रखे।   मौसम बदलने के साथ हमें नए मौसम मे घुलने मे थोड़ा समय लगता है। इस दौर में हमारा मौसम के बदलाव का असर हमारे शरीर पर होता है। इस बदलते मौसम में खुद को ढालने में हमें कुछ समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सर्दी, बुखार जैसे रोग इस समय ज्यादा तकलीफ देते है, इसलिए बदलते मौसम के साथ हम कुछ बातों का ख्याल रखें तो हम इस बदलाव का अच्छे से मुकाबला कर मौसम के अनुसार खुद को ढाल सकते हैं। ठंडी के दिनों मे ध्यान रखने वाली बाते। 1 सर्दी के दिनों में गर्म कपड़े पहने।  2 अपने सिर कान और पैर को ढक कर रखें। इसलिए गरम टोपी, मौजे आदि का प्रयोग करें।  3 खाने में पौष्टिक आहार का सेवन करें। 4 फल और सब्जियों का भरपूर मात्रा में प्रयोग करें।  5 ठंडी के दिनों में पानी का ज्यादा सेवन करें।  6 शरीर में गर्मी बनाए रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम, वॉकिंग, योगा आदि की प्रैक्टिस करें।  7 खाने में तले पदार्थों को कम करे या छोड़ दे।  8 ठंड के समय में खाने में नमक का प्रयोग कम मात्रा में करें इससे दिल की बीमारियों का खतरा रहता है। 9 सर्दियों में ड्राई फूड

महिला और पुरुषों के बीच शरीर रचना और शारीरिक भेद । Anatomical differences between women and men.

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  महिला और पुरुषों के बीच शरीर रचना और शारीरिक भेद। निसर्ग ने महिला और पुरुषों में शारिरिक भेद किया है। इसलिए ये दोनो कुछ काम बखूबी कर सकते है जब की दूसरा इस काम को करने मे परेशानी होती है। तो आज हम यह भेद जानने की कोशिश करेंगे। महिला  1 वयस्क होने से पूर्व लड़कियां तेजी से बढ़ती है और 14 वर्ष के बाद धीमी गति से बढ़ती है।  2 लड़कियां कद में छोटी होती है और वे जल्दी ही परिपक्व हो जाती है। 3 महिलाओं के छाती का आकार उभरा होता हैं जो दौड़ने में परेशानी करते हैं।  4 महिलाओं का शरीर बड़ा होता है और अंग छोटे होते हैं इनका गुरुत्व केंद्र भी नीचा होता है उन्हें कुदने में परेशानी होती है जबकि संतुलन वाली स्पर्धाओं में जैसे जिमनास्टिक और तैराकी में उन्हें फायदा रहता है। 5 महिलाओं के कंधे ताकत में कमजोर होते हैं और उनकी हड्डियां भी कमजोर होती है इसलिए इन्हें थ्रोइंग और लिफ्टिंग स्पर्धाओं में परेशानी महसूस होती है।  6 महिलाओं का कद 18 से 20 साल की आयु तक बढ़ता है।  7 पेशी तंत्र अलग होने की वजह से उनमें कम पेशी ताकत होती है और वे अपनी पेशियों को भारी प्रशिक्षण के बावजूद भी सुधर नहीं सकती। इसलिए वे ख

शिशु काल में अच्छे स्वास्थ्य शिक्षा का महत्व।

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  शिशु काल में अच्छे स्वास्थ्य शिक्षा का महत्व। अगर हम अच्छे स्वास्थ्य की बात करें, तो इसकी शुरुआत हमारे बचपन से ही होती है। शिशु काल में हम पर स्वास्थ संबंधी जो संस्कार होते हैं, वह हमारे जीवन का आधार होते हैं। उसी के साथ हम बड़े होते हैं, वह बचपन की आदतो के साथ हम एक स्वास्थ वयस्क के रूप में विकसित होते हैं।   स्वास्थ्य शिक्षा व्यक्ति के जीवन में विशेष महत्व रखती है वह नीचे गए दिए बातों से स्पष्ट होती है।   1 अच्छा स्वास्थ्य प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार और कर्तव्य है, क्योंकि इसके इसे बनाना या बिगाड़ना सिर्फ उसी के हाथ में होता है।   2 स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम केवल एक विद्यार्थी पर ही अपना प्रभाव नहीं छोड़ते उसका असर पूरे समाज पर होता है।   3 स्वास्थ्य शिक्षा एक विद्यार्थी को विभिन्न प्रकार के रोगों से तथा दोषों से बचाने में सहायक होती है। इसमें विभिन्न प्रकार के रोग जैसे कान के, आंख के, साथ ही कुपोषण संबंधित रोग नहीं होते। क्योंकि इनसे बचाने की जानकारी स्वास्थ्य शिक्षा के अंतर्गत विद्यार्थियों को दी जाती है।   4 यदि स्वास्थ शिक्षा विद्यार्थियों को दिए जाए तो वह घर के लोगों को यह बात

हाइजीन (hygiene) शब्द का मतलब और व्याप्ती।

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  हाइजीन (hygiene) शब्द का मतलब और व्याप्ती। आज के वैश्विक महामारी के दौर में हम खुद को फिट, स्वास्थ रहने के संदर्भ मे हैजिनिक यह शब्द लगातार सुनने में आ रहा है। तो इस शब्द को आज हम अच्छी तरह से समझते है।   हाइजीन शब्द की उत्पत्ति हायजिया शब्द से हुई है।  जो वास्तव में एक यूनानी भाषा का शब्द है। जिसका अर्थ होता है स्वास्थ्य की देवी यूनान के लोगों का यह मानना है कि उनके स्वस्थ की देखभाल हाईजीनस नामक देवी करती है। जिस प्रकार हाईजीनस का तात्पर्य स्वास्थ्य की देवी होता है, उसी प्रकार है हायजिन का अर्थ होता है, कि वह विज्ञान जो स्वास्थ्य की रक्षा तथा सुरक्षा करता है, इसके अंतर्गत वह सभी क्रियाएं तथा गतिविधियां सम्मिलित हो जाती है जो मानव के विकास को किसी भी प्रकार से प्रभावित करती है। इस सत्य को दो भागों में बांटा जा सकता है। १ सार्वजनिक पक्ष  इसके अंतर्गत निम्न तत्व सम्मिलित होते हैं- १ आवास की सामग्री व प्रबंध  २ जलवायु  ३ प्रकाश ताप तथा वायु गमनागमन की व्यवस्था  ४ मिट्टी ५ चरित्र  2 व्यक्तिगत पक्ष -  इनमें निम्न तत्वों का समावेश होता है।  १ नींद   २ भोजन  ३ वस्त्र   ४ विशेष आदतें   ५ का

बारिश के मौसम में हमारा खान-पान कैसा हो।

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बारिश के मौसम में हमारा खान-पान कैसा हो।  बरसात के मौसम में पाचन संबंधी शिकायतें-   इसमे डायरिया, अपचन आधी समस्या प्रमुख है, इसलिए हम कुछ सावधानियां अपना सकते है।  योग्य आहार ले तो काफी हद तक हमें इस समस्या से छुटकारा मिलता है। इस मौसम में आसानी से पचने वाला भोजन लेना चाहिए। खाने में हरी सब्जी, घी, पुदीना आदी का समावेश करना चाहिए।  साथ ही अनाज में चावल, गेहूं, मूंग की दाल, ले सकते हैं। इसके अलावा धनिया, अदरक, काली मिर्च का उपयोग ज्यादा लाभदायक होता है।   पचने में जड़ अनाज खाना बंद करे - खाने में मसुर, मक्का, आलू,  उड़द, चने की दाल जैसे गैस बनाने वाले अनाज खाने से बचना चाहिए। बरसात के दिनों में खट्टी चीजें जैसे जैम, अचार आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।  फ्राइड पदार्थ से दूर ही रहना अच्छा होता है। इसके जगह हरी सब्जी दाल रोटी साथ में सलाद लेना काफी फायदेमंद साबित होता है।   बारिश के मौसम में स्नेक्स और कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन भी टालना चाहिए।  पानी  बारिश के दिनों में ज्यादा बीमारियों का मुख्य स्त्रोत पीने का पानी होता है। बारिश के दिनों में पानी में हानिकारक द्रव घुलते है, इसलिए पीने का पान

रक्त संचार तंत्र और उसके घटक।

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 रक्त संचार तंत्र मानव रक्त मानव शरीर में बहने वाला जीवनदाई द्रव है। हम इसके बिना जिंदा नहीं रह पाते ।शरीर की सभी कोशिकाओं को रक्त हमारा दिल देता हैै, तथा उन्हें ऑक्सीजन और भोजन पहुंचाता हैै। इसके साथ ही रक्त कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य आवश्यक पदार्थ बाहर निकलता है, यह रोगाणुओं से लड़ता है । हमारा शरीर का तापमान ठीक रखता है, तथा शरीर के कई कार्यों को पूरा करने वाले रसायनों को पहुंचाता है।  रक्त में ऐसे तत्व होते हैं जो टूटी रक्त नालियों का मार्ग रुकाते है। ताकि ज्यादा खून निकलने से हमारी मौत ना हो जाए । हमारे शरीर में खून की मात्रा इस पर निर्भर करती है कि हमारा आकार क्या है तथा हम कितनी ऊंचाई पर रहते हैं ।     80 किलोग्राम वजन के एक वयस्क में लगभग 5 लीटर खून होता है एक किशोर जिसका वजन 40 किलोग्राम है उसमें ढाई लीटर खून होता है । तथा 4 किलोग्राम के शिशु में ढाई सौ मिली खून होता है जो लोग ऊंचे स्थानों पर रहते हैं,  जहां ऑक्सीजन कम होता है उनमें नीचे रहने वाले लोगों की अपेक्षा 2 लीटर ज्यादा खून होता है । यह अतिरिक्त रक्त शरीर की कोशिकाओं  को अतिरिक्त ऑक्सीजन प्रदान करता है।   रक्त के कार्य

वजन कम कैसे करें?

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वजन कम कैसे करें? आज की दौड़ भरी जिंदगी में हमें स्वास्थ्य प्रति जागरूकता का अभाव और हमारी मॉडर्न जीवन शैली में हम कुछ आदतें समय बचाने के चक्कर में हमारे स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर करती है, जैसे काम को पूरा करने के लिए हम भूख लगने के बाद भी खाना ना खा कर काम करते-करते कुछ चटपटी चीजें जैसे वडापाव आदि का उपयोग करते हैं इससे काम तो होता है पर हमारे स्वास्थ्य पर यह आदत बन बनकर कई समस्या को जन्म देती है। इसमें से शारीरिक वजन बढ़ना यह एक प्रमुख लक्षण है।  शारीरिक वजन बढ़ने के बाद हमें कई समस्या आती है जिससे कम करने के लिए हम हमारा शारीरिक वजन कम करना जरूरी समझते हैं। तो इसके लिए हम कई तरीके अपनाते हैं कई बार लोग वजन कम करने के लिए भरपूर पैसा दवाइयों पर खर्च करते हैं और औषधि लेते हैं जिसका शरीर को नुकसान भी पहुंचता है।     शारीरिक वजन कम करने के लिए सही और सुरक्षित तरीके के। वजन कम करने वाले प्रथम था यह बात को अच्छी तरह से समझना होगा कि हमारे शरीर में जो फैट जमा हुआ है वह 1 या 2 दिन में जमा नहीं हुआ है, तो इसे कम करने में भी धैर्य और निरंतरता की आवश्यकता होगी। शरीर स्वस्थ एक साधना होती है, जो

भुजंगासन करने की विधि और लाभ।

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 भुजंगासन करने की विधि और लाभ। इस आसन मे हमारा शरिर पैर से लेकर नाभी तक ज़मीन पर होता है। और उपर का हिस्सा दोनों हाथ सामने रखकर उठाया जाता है। यह अवस्था मे हमारा शरीर सांप या भुजंग की तरह दिखाई देता है। इसलिए इस आसन को भुजंगासन कहा जाता है।  भुजंगासन करने की विधी। 1 प्रथम आपको जमिनपर पेट के बल लेट जाना। इस अवस्था में हमारा माथा जमीन से टिका हुआ चाहिए। 2 शरीर को शिथिल कर दोनों हाथो को सीने के बाजू मे रख दे। 3 अब हाथ को सीधा कर ले इस अवस्था मे नाभी से शरीर को उपर उठा ले। 4 इस अवस्था मे अपनी नजर उपर की तरफ रखे, शरीर के कमर से नीचे का हिस्सा जमीन पर रखे हिलने ना दे। 5 पैर की उंगलियों को जमिपर रखे, गर्दन उपर की और रखे जिससे पेट पे अच्छा खीचाव आएगा। 6 इस स्थिती मे 10 सेकद अपनी सांस रोके रखे, बाद धीरे- धीरे मूल स्थिती में आए। भुजंगासन के लाभ। 1इस आसन के नियमित सराव से पीठ दर्द के सभी व्याधि से छुटकारा मिलता है। 2 पेट की समस्या मे भी यह आसन लाभदायक है। 3 हमारे कंधे के स्नायू मजबूत होते है। 4 इस आसन के नियमित सराव से फेफड़ों को कार्य क्षमता बढ़ती है। 5 हमारे शरीर का बांधा सुडौल बनता है। भुजंगा