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शरीर रचना मूल्यमापन के तरीके।

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शरीर रचना मूल्यमापन के तरीके।   शरीर की विवीध भाग प्रमाण बद्ध  स्थिति में होना यह उत्तम आरोग्य का लक्षण माना जाता है। शरीर मे मेद और मेद के बगैर घटक (हड्डी, स्नायु, अवयव) इनका गुणोत्तर शरीर रचना घटक होता है। अपने शरीर के कद के हिसाब से अपना वजन चाहिए। शरीर रचना प्रमाण बद्ध रखने के लिए, दैंनदिन कामकाज, आहार और व्यायाम इनका तालमेल होना आवश्यक है। इस क्षमता का वस्तुनिष्ठ मापन करने के अनेक तंत्र है। जिसका हम अब अभ्यास करेंगे। 1 कमर, छाती घेर का गुणोत्तर। WHR यह शरीर का मोटापा गिनने का एक महत्वपूर्ण तरीका है इसमें कमर का घेर सेंटीमीटर में भाग  छाती का घेर सेंटीमीटर में इनका गुणोत्तर 0.75 आने पर योग्य शरीर रचना मानी जाती है। छाती के घेर का प्रमाण कमर के घेर से ज्यादा होने पर वह शरीर रचना अयोग्य, या मोटापा कहा जाता है। 2 वजन और ऊंची प्रमाण।  Body mass index  शरीर रचना मूल्यमापन का एक महत्वपूर्ण निर्देशांक है। इसे गिनने के लिए                     वजन(kg) BMI= -------------------------                  ( ऊंची मीटर)2 इस सूत्र का उपयोग किया जाता है। वजन किलोग्राम में भाग ऊंची सेंटीमीटर में और इसक

शारीरिक चोट, प्रथमोपचार और इलाज।

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  शारीरिक चोट, प्रथमोपचार और इलाज।  शारीरिक चोट  कोई भी खेल खेलते समय शारीरिक चोट लगने की संभावना होती है।  शारीरिक जख्म होने के प्रमुख कारण। 1 lack of bio mechanics principales जीवयंत्रिकी विद्यशाखा का अभाव। 2 over use क्षमता से ज्यादा कार्य  3 lack of preparation अपूरी कार्य क्षमता और कार्यक्षमता तैयारी का अभाव। 1 जीवयंत्रिकी विद्यशाखा। (faculty bio mechanics)  खेल संबंधी तंत्रिक हालचाल और उसके अंतर्गत आने वाले अनेक अवयव और उनकी कार्य को तंत्र शुद्ध अध्ययन का अभाव। 2 क्षमता से ज्यादा कार्य। (over use)  प्रैक्टिस करते समय या नियमित सराव में खिलाड़ियों से उनकी शारीरिक क्षमता के अनुरूप प्रैक्टिस करवाई जानी चाहिए। हर खिलाड़ी का स्टैमिना क्षमता अलग अलग होता है। यह बात ध्यान में रखकर उनका वर्कआउट देना चाहिए, जिससे कि खिलाड़ी की खेल में प्रगति हो। 3 अपर्याप्त कार्यक्षमता और कार्यक्षमता की तैयारी की कमी। (lack of prepration and inadequate fitness ) प्रैक्टिस और खेल शिविर में खिलाड़ी शरीर दृष्टि से तंदुरुस्त ना होने के कारण और प्रशिक्षक के व्दारा तंत्रशुद्ध सराव ना होने से खिलाड़ियों को जख्म

शारिरिक सुदृढ़ता के घटक और उनका विकास/ motor fitness

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  शारीरिक सुदृढ़ता motor fitness   जिस व्यक्ति को शारीरिक कौशल के आधार पर विशेष निपुणता की आवश्यकता होती है। उनको शारीरिक सुदृढ़ता के साथ-साथ अपने कौशल क्षमता का विकास भी जरूरी होता है। इसमें गति, लचीलापन, ताकत, समन्वय और प्रतिक्रिया यह क्षमताएं सम्मिलित होती है।  कौशल्य सुदृढ़ता घटक और उनका विकास। 1 गती (speed)  ज्यादा से ज्यादा गति से पूरे शरीर की हलचल करने की क्षमता को गती कहा जाता है।  गति के विकास के लिए- यह क्षमता का विकास करने के लिए कम अंतर की स्प्रिंट करना उदाहरण 20, 30, 40, 50, 60,----100 मीटर अंतर को बार-बार दौड़ना दौड़ने की प्रैक्टिस करना चाहिए। प्रैक्टिस करते समय खिलाड़ी की उम्र, लिंग, और क्षमता को ध्यान में रखकर मात्रा तय करनी चाहिए। साथ ही विविध खेल प्लाइओमेट्रिक खेल, रस्सीकूद आदि से भी गति की क्षमता का विकास कर सकते हैं। 2 शक्ति (power) एक पल में जो शक्ति का उपयोग किया जाता है। उसे शक्ति यां ताकत कहते हैं। विभिन्न खेलों में ताकत का उपयोग होता है जैसे ऊंची कूद, ट्रिपल जम्प, गोला, थाली फेक, हतोड़ा फेक आदि खेलों में ताकत का महत्व होता है।  यह क्षमता विकसित करने के लिए वेट ट

आहार/खाने के संदर्भ में नियम।

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  आहार/खाने के संदर्भ में नियम। 1 खिलाड़ी को अपना खाना दिन में चार बार खाना चाहिए। 2 खाने में सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना, दोपहर, का नाश्ता और रात का खाना यह क्रम होना चाहिए।  3 खाने का समय पक्का करना है, और उसमें नियमितता होनी चाहिए। 4 हर तरह की खाने की चीजें भोजन में समावेश होना चाहिए। पसंद नापसंद नहीं करना चाहिए। 5 खाना खाते समय आराम से और अच्छी तरह चबाकर खाना खाना है।  6 खाते समय थोड़ा पानी पीना है और खाने के तुरंत बाद भरपेट पानी नहीं पीना चाहिए। 7 रोड पर के खुले पकाकर बनाए हुए पदार्थ फ्रिज किए हुए समोसे, वड़े, बर्गर, पिज़्ज़ा, ऐसे फास्ट फूड खाने से बचना चाहिए।  8 खाने में कार्बोदके, प्रथीने, मेंदपदार्थ, जीवनसत्व, खनिजे और पानी का संतुलन बनाए रखना है। 9 कच्चे फल, हरी सब्जी, चावल, ज्वार, गेहूं, बाजरे इसका भोजन में समावेश होना चाहिए। 10 खाना भरपेट नहीं खाना चाहिए पेट में थोड़ी सी जगह होनी चाहिए। 11 दिन भर में 3 से 4 लीटर पानी पीना चाहिए।  इस तरह से अगर हम अपना खाना खाते हैं तो इस खाने से हमें पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा (कैलरी) मिलती है इस ऊर्जा को हम अपने काम अथवा व्यायाम के द्वारा

शारिरिक फ़िटनेस और चिकित्सा के तत्व।

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  शारीरिक फिटनेस और चिकित्सक के तत्व।  जो व्यक्ति शारीरिक रूप से फिट होता है वह अपने दिनभर के काम बिना थके उत्साह पूर्वक पूरे करता है। शारीरिक दृष्ट्या फिट व्यक्ति निरोगी रहकर संकट के समय में या मानसिक दबाव में वह हर परिस्थिति को सहज निभाता पार करता है। शारीरिक दृष्टि से फिट व्यक्ति दूसरों की तुलना में अधिक उत्साह पूर्व। और सुखभरा जीवन व्यतीत करता है। इसलिए विद्यार्थियों के जीवन शैली में बदलाव लाने के लिए इन्हें शारीरिक फिटनेस के प्रति आवश्यक कौशल, ज्ञान, और मूल्य का पता होना आवश्यक है।   शारीरिक सुदृढ़ता की व्याख्या।  शरीर को शरीर की सभी संस्थाओं का आरोग्य दाई और इनका काम सहज और अच्छी क्षमता से पूरा करने की क्षमता इसे हम शारीरिक सुदृढ़ता कहते हैं।   शारीरिक सुदृढ़ता के घटक।  शारीरिक सुदृढ़ता के मुख्य दो घटक है। 1 आरोग्यधिस्टीत शारीरिक सुदृढ़ता। (HRPF)  Health related physical fitness 2 कौशल्य धिस्टीत शारीरिक सुदृढ़ता (SRPF) Skill related physical fitness or motor fitness 1 आरोग्यधिस्टीत शारीरिक सुदृढ़ता।  सर्व सामान्य व्यक्ति को दैनंदिन जीवन ऊंचे दर्जे का जीने के लिए आरोग्यधिस्टीत शार

आहार ( diet )

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  आहार (diet)   संतुलन आहार (balance diet)  शरीर के विकास और बढ़ने के लिए शरीर को खाद्य की जरूरत होती है। खाद्य शरीर को शरीर की पेशी और कोशिकाएं की बढ़ोतरी होती है।  पोषक द्रव्य (nutrients) सजीव को बढ़ने के लिए और अच्छा सेहतमंद रहने के लिए खाना / खाद्य जरूरी होता है। इस खाने से मानवीय शरीर को आवश्यक पोषक द्रव्य की प्राप्ति होती है। खाने में कर्बोदके, प्रथिने, स्निग्ध पदार्थ, जीवन सत्व, क्षार, पानी, खनिज पदार्थ, अमीनो अम्ल यह सब चीजें शरीर को मिलती रहती है। जिससे मानवी शरीर बीमारी से बचता है, और उसकी कार्य क्षमता बढ़ती है। साथ ही, उसका जीवन मान का दर्जा ऊपर उठता है।   हर दिन का आहार। (Daily diet)  हम हर दिन जो आहार / खाना खाते हैं, उस की गिनती केलरी में की जाती है। हमें खाने से ऊर्जा मिलती है, जिससे हम रोगों से दूर रहकर हमें हमारे दिनचर्या के काम करने की स्फूर्ति / ताकत मिलती है। इसलिए हमें हमारा खाना उमर, लिंग, चयपचय की क्रिया और हमारी शारीरिक मेहनत के अनुसार खाना चाहिए / लेना चाहिए। साथ ही, खाना चौरास, रुचकर, विविधतापूर्ण और ऋतु के अनुसार लेना चाहिए।   आहार व्यवस्थापन का बढ़ता महत्व।

हलासन करने की विधी और लाभ।

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  हलासन (plow pose) इस आसन मे हमारे शरीर का आकार हल यानी खेत में इस्तेमाल होने वाले उपकरण के जैसा दिखता है। हल् का उपयोग जमीन जोतने के लिए किया जाता है। इस आकृति की पोज के कारण इसे हलासन कहते हैं।   हालासन करने की विधी। 1 मूल स्थिति अपनी मैट पर पीठ के बल लेट जाए। 2 अपने दोनों हाथ की हथेली जमीन के तरफ रख कर हाथ सीधे घुटनों के बाजू मे रखो।  3 सांस भर कर पैरों ऊपर उठा लो। 4  दोनों पैर मिलाकर 90 अंश मे कमर के सामने रखो। 5 पैर को सर की तरफ ले जाने के लिए दोनों हाथ का कमर को सहारा दो। 6 पैर सीधे सर की तरफ ले जाए। 7 पैरों के अंगूठे जमीन पर टेकना है।  8 अब हाथों को कमर से हटा लेना है और हथेली जमीन पर रखना है, इस स्थिति में 30 सेकंड से 1 मिनट तक बने रहे। अपनी सांसों पर ध्यान दें।  9 अब धीरे से आसन को छोड़कर मुलस्थिती में आए।  हलासन करने की सावधानियां। 1 हलासन सुबह खाली पेट सौच कर खाली पर करना अच्छा होता है। शाम में अगर करना हो तो अभ्यास से पूर्व 3 घंटे पहले कुछ खाना नहीं खाया हो, खाली पेट ही आसन को करना है।  2 अगर आपकी गर्दन या कमर में दर्द हो तो यह आसन ना करें। 3 आप हाई बिपी या अस्थमा के मरीज

मोटापे की समस्या का विस्लेषण और समाधान।

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  मोटापा (obesity ) आज हमारी जीवनशैली बदल चुकी है। पिछले तीस साल पहले के हालात और आज का जीवन में काफी बदलाव आ चुका है। आज इस आधुनिक युग में मानव अपनी मूल  प्रवृत्ति खो रहा है। आज हर एक श्रम अथवा मेहनत का काम यंत्र के माध्यम से होने लगे हैं। इस वजह से हमें काम भी घंटों एक जगह बैठ कर करना पड़ता है। इसलिए शरीर की हलचल। कम हो चुकी है साथ ही व्यायाम की आदत या व्यायाम के लिए समय निकालना भी इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में नहीं मिलता है। इस वजह से हमारा शरीर का वजन बढ़ रहा है आज आज की। खाद्य संस्कृती भी बदल गई है आज तेल से बने और फ्रिज किए हुए खाद्य हम खाने लगे हैं। इसका भी हमारे शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ने लगा है। स्थुलता या मोटापे का मतलब सिर्फ वजन बढ़ना नहीं होता है तो हमारे शरीर के स्नायु और हड्डी के प्रमाण में चर्बी का बढ़ना होता है। शरीर में मेद का होना आवश्यक होता है यह अतिरिक्त मेद हमें उठना, बैठना जैसी शरीर की सभी क्रियाओं में उसका उपयोग होता है। पर दैनदिन कार्य करने के बाद भी जो मेद बचता है, वह जमा होकर मोटापा में तब्दील होता है। मोटापा बढ़ने के लिए सहाय्यक आदतें या मददगार आदतें। 1 ज्यादा

नियमित व्यायाम करने से शरीर को होनेवाले लाभ।

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  नियमित व्यायाम करने से शरीर पर होने वाले परिणाम। 1 सर्वसाधारण लाभ। 2 शरीर की विविध कार्य संस्थाओं को होने वाले लाभ। 1 सर्वसाधारण लाभ  1 नियमित कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। 2 मानसिक स्वास्थ् सुधरता है। 3 बढ़ते हुए उम्र के अनुसार शारीरिक क्षमताओं में आने वाली कमी को घटाता है। 4 शरीर निरोगी होकर प्रतिकार शक्ति बढ़ती है। 5 बदलते मौसम से होने वाली बीमारी में कमी आती है। 2 शरीर के विविध कार्य संस्थाओं को होने वाले लाभ। 1 श्वसनक्रिया संस्था। व्यायाम करने से ह्रदय का आकार खून संचार की क्षमता, फेफड़ों की कार्य क्षमता में बढ़ोतरी होती है। प्रौढ़ और बुजुर्गो में उत्साह उत्साह बढ़ता है। 2 पाचन संस्था। व्यायाम करने से पाचन संस्था का विकास होता है। आत की बीमारियों से छुटकारा मिलता है। मोटापा कम होता है। 3 रक्ताभिसरण संस्था।  1 नियमित व्यायाम करने से हृदय का कार्य सुचारु रुप से चलता है।  2 रक्त संचार का कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। 3 खून में गांठ और रक्त नलिका छोटे होने की प्रक्रिया पर रोक लगती है।  4 स्नायु संस्था।  1 नियमित व्यायाम करने से शरीर के स्नायु मजबूत होकर ताकत और स्फूर्ति बढ़ती है।

शीर्षासन करने की विधी, लाभ और सावधानी।

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  शीर्षासन  शीर्षासन एक महत्वपूर्ण आसान है। शीर्ष मतलब सिर और इस आसन को सिर के बल किया जाता है। सभी आसनों में इसे महत्वपूर्ण आसन माना जाता है। यह शुरुआत में काफी कठिन होता है, पर नियमित सराव से यह आसन लगा सकते हैं।     शीर्षासन करने का तरीका।  1 शीर्षासन करने के लिए मैट पर एक नरम कपड़ा या तौवलिया रख ले उस पर अपना अभ्यास कर सकते हैं। 2 सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाए। 3 दोनों हाथ की उंगलियों को आपस में जोड़ लें,  इसके बीच अपना सर रख कर उसे सहारा देना है। 4 अब आगे झुक कर जमीनपर हाथ की कोहनी रखना है, पैर को घुटने पर लाना है। 5 अब सिर को दोनों हाथ के बीच में रखे। 6 पीठ और गर्दन सीधी रखकर पैरों को घुटने से मोड ले, इस स्थिति में ऊपर की तरफ ले जाए। 7 जमीन से शरीर का 90 औंस का कोन बना ले। 8 धीरे धीरे पैर सीधे करके आसन लगाने की कोशिश करें। 9 इस आसन का अभ्यास समय धिरे धिरे बढ़ा सकते है, यह आसन 30 सेकंड से 5 मिनट से ज्यादा न करे।   आसन को करने की दूसरी तकनीक। इस तकनीक में शुरुआत में पैर को घुटने से मोड़ कर अपनी दंड पर रखकर इस स्थिति में रुकने का अभ्यास से कुछ दिनों हम इस आसन को सहज लगा सकते हैं।