शारिरिक सुदृढ़ता के घटक और उनका विकास/ motor fitness

 शारीरिक सुदृढ़ता motor fitness 

 जिस व्यक्ति को शारीरिक कौशल के आधार पर विशेष निपुणता की आवश्यकता होती है। उनको शारीरिक सुदृढ़ता के साथ-साथ अपने कौशल क्षमता का विकास भी जरूरी होता है। इसमें गति, लचीलापन, ताकत, समन्वय और प्रतिक्रिया यह क्षमताएं सम्मिलित होती है। 

कौशल्य सुदृढ़ता घटक और उनका विकास।

1 गती (speed)

 ज्यादा से ज्यादा गति से पूरे शरीर की हलचल करने की क्षमता को गती कहा जाता है।

 गति के विकास के लिए-

यह क्षमता का विकास करने के लिए कम अंतर की स्प्रिंट करना उदाहरण 20, 30, 40, 50, 60,----100 मीटर अंतर को बार-बार दौड़ना दौड़ने की प्रैक्टिस करना चाहिए। प्रैक्टिस करते समय खिलाड़ी की उम्र, लिंग, और क्षमता को ध्यान में रखकर मात्रा तय करनी चाहिए। साथ ही विविध खेल प्लाइओमेट्रिक खेल, रस्सीकूद आदि से भी गति की क्षमता का विकास कर सकते हैं।


2 शक्ति (power)

एक पल में जो शक्ति का उपयोग किया जाता है।उसे शक्ति यां ताकत कहते हैं। विभिन्न खेलों में ताकत का उपयोग होता है जैसे ऊंची कूद, ट्रिपल जम्प, गोला, थाली फेक, हतोड़ा फेक आदि खेलों में ताकत का महत्व होता है।

 यह क्षमता विकसित करने के लिए वेट ट्रेनिंग, प्लायमेट्रिक व्यायाम प्रकार, विविध खेल, लंगड़ी, टेनिकोइट रिंग, स्पॉट जम्प, रस्सीकूद, स्कॉट्स, आदि।


3 लचीलापन (agility)

एक दिशा में दौड़ते दौड़ते अचानक अपने शरीर को।दूसरी दिशा में मोड़ना उसे लचीलापन कहते हैं। खेल में यह आवश्यक होता है लचीलापन विकसित करने के लिए शटल रन, खो-खो, हर्डल, लंगडी, हैंडबॉल, बास्केटबॉल, फुटबॉल खेल खेलने से यह क्षमता का विकास होता है।

4 समन्वय (co-ordination)

 एक विशेष अवस्था में शरीर के विविध हलचल को कौशल्य पूर्ण तरीके से नियंत्रित करने की क्षमता को समन्वय कहा जाता है। यह क्षमता के विकास के लिए एरोबिक्स व्यायाम प्रकार,रस्सी कूद, बॉल ड्रिबलिंग पासिंग, कैचिंग, गेद को फेंकना और पकड़ना, फुटबॉल, बास्केटबॉल आदि खेल खेलकर इस क्षमता का विकास होता है।

 5 संतुलन (balance)

 संतुलन में स्नायु, आँख, अन्तकर्न, छोटा दिमाग और दिमाग के अनेक भाग पर निर्भर होता है। 

संतुलन के दो प्रकार होते हैं।

1 स्थिर संतुलन

 एक अथवा दोनों पैर पर खड़े होना।

2 गतिमान संतुलन।

गतिमान अवस्था अवस्था में संतुलन पाना।

पहले प्रकार में खड़े होना, चलना, विविध आसने, जिमनास्टिक के कुछ कार्य, रोल करना इस तरह की कार्य से हम संतुलन पा सकते हैं।

 गतिमान संतुलन संतुलन हर खेल के अनुरूप अलग अलग होता है। इसलिए इसे निरंतर अभ्यास से हासिल किया जा सकता है। 


प्रतिक्रिया काल (reaction time)

पंचीन्द्रियों द्वारा होने वाली संवेदना को हम कम से कम समय में प्रतिक्रिया देना इसे प्रतिक्रिया कल कहते हैं। इसका अच्छा उदाहरण 100 मीटर 200 मीटर का स्टार्ट लेते समय जिस खिलाड़ी का प्रतिक्रिया काल कम होता है, वह खिलाड़ी सही समय पर स्टार्ट लेता है।

इस क्षमता में आवाज धुआ, स्पर्श, चमक आदि चीजों का शरीर प्रतिक्रिया का काल अलग अलग होता है। इसमें नियमित अभ्यास / प्रेक्टिस से अचूकता ला सकते है।




टिप्पणियाँ

  1. शारीरिक सुदृढ़ता motor fitness

    जिस व्यक्ति को शारीरिक कौशल के आधार पर विशेष निपुणता की आवश्यकता होती है। उनको शारीरिक सुदृढ़ता के साथ-साथ अपने कौशल क्षमता का विकास भी जरूरी होता है। इसमें गति, लचीलापन, ताकत, समन्वय और प्रतिक्रिया यह क्षमताएं सम्मिलित होती है।

    कौशल्य सुदृढ़ता घटक और उनका विकास।

    1 गती (speed)

    ज्यादा से ज्यादा गति से पूरे शरीर की हलचल करने की क्षमता को गती कहा जाता है।

    गति के विकास के लिए-

    यह क्षमता का विकास करने के लिए कम अंतर की स्प्रिंट करना उदाहरण 20, 30, 40, 50, 60,----100 मीटर अंतर को बार-बार दौड़ना दौड़ने की प्रैक्टिस करना चाहिए। प्रैक्टिस करते समय खिलाड़ी की उम्र, लिंग, और क्षमता को ध्यान में रखकर मात्रा तय करनी चाहिए। साथ ही विविध खेल प्लाइओमेट्रिक खेल, रस्सीकूद आदि से भी गति की क्षमता का विकास कर सकते हैं।



    2 शक्ति (power)

    एक पल में जो शक्ति का उपयोग किया जाता है।उसे शक्ति यां ताकत कहते हैं। विभिन्न खेलों में ताकत का उपयोग होता है जैसे ऊंची कूद, ट्रिपल जम्प, गोला, थाली फेक, हतोड़ा फेक आदि खेलों में ताकत का महत्व होता है।

    यह क्षमता विकसित करने के लिए वेट ट्रेनिंग, प्लायमेट्रिक व्यायाम प्रकार, विविध खेल, लंगड़ी, टेनिकोइट रिंग, स्पॉट जम्प, रस्सीकूद, स्कॉट्स, आदि।



    3 लचीलापन (agility)

    एक दिशा में दौड़ते दौड़ते अचानक अपने शरीर को।दूसरी दिशा में मोड़ना उसे लचीलापन कहते हैं। खेल में यह आवश्यक होता है लचीलापन विकसित करने के लिए शटल रन, खो-खो, हर्डल, लंगडी, हैंडबॉल, बास्केटबॉल, फुटबॉल खेल खेलने से यह क्षमता का विकास होता है।

    4 समन्वय (co-ordination)

    एक विशेष अवस्था में शरीर के विविध हलचल को कौशल्य पूर्ण तरीके से नियंत्रित करने की क्षमता को समन्वय कहा जाता है। यह क्षमता के विकास के लिए एरोबिक्स व्यायाम प्रकार,रस्सी कूद, बॉल ड्रिबलिंग पासिंग, कैचिंग, गेद को फेंकना और पकड़ना, फुटबॉल, बास्केटबॉल आदि खेल खेलकर इस क्षमता का विकास होता है।

    5 संतुलन (balance)

    संतुलन में स्नायु, आँख, अन्तकर्न, छोटा दिमाग और दिमाग के अनेक भाग पर निर्भर होता है।

    संतुलन के दो प्रकार होते हैं।

    1 स्थिर संतुलन

    एक अथवा दोनों पैर पर खड़े होना।

    2 गतिमान संतुलन।

    गतिमान अवस्था अवस्था में संतुलन पाना।

    पहले प्रकार में खड़े होना, चलना, विविध आसने, जिमनास्टिक के कुछ कार्य, रोल करना इस तरह की कार्य से हम संतुलन पा सकते हैं।

    गतिमान संतुलन संतुलन हर खेल के अनुरूप अलग अलग होता है। इसलिए इसे निरंतर अभ्यास से हासिल किया जा सकता है।



    प्रतिक्रिया काल (reaction time)

    पंचीन्द्रियों द्वारा होने वाली संवेदना को हम कम से कम समय में प्रतिक्रिया देना इसे प्रतिक्रिया कल कहते हैं। इसका अच्छा उदाहरण 100 मीटर 200 मीटर का स्टार्ट लेते समय जिस खिलाड़ी का प्रतिक्रिया काल कम होता है, वह खिलाड़ी सही समय पर स्टार्ट लेता है।

    इस क्षमता में आवाज धुआ, स्पर्श, चमक आदि चीजों का शरीर प्रतिक्रिया का काल अलग अलग होता है। इसमें नियमित अभ्यास / प्रेक्टिस से अचूकता ला सकते है।

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