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अगस्त, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हॉकी खेल की पूरी जानकारी।

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  हॉकी खेल की जानकारी।  फील्ड हॉकी पर हमारे भारतीयों की बड़ी छाप है। भारतीय टीम ने 1928 से 1964  तक  8 ओलयम्पिक मे से सात बार सुवर्ण पदक जीतकर विश्व में अपनी कामयाबी और अपना हुनर दिखाया है। 1908 में इंग्लैंड में खेले गए ओलंपिक में सर्वप्रथम इस खेल का समावेश किया गया। आज इस खेल में काफी कुछ बदल गया है। मिट्टी के मैदान की जगह घास के मैदान ने ली है,  इसलिए इस खेल की कौशल्य में भी काफी  अमूलाग्र बदलाव हुए हैं। लकडी जगह फाइबर की स्टिक आ गई है, और आज तो ग्राफाइड स्टिक्स का इस्तेमाल होने लगा है। लेदर बॉल की बदले फाइबर बॉल आज खेल में इस्तेमाल होने लगा है।  खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए भी आज आधुनिक संरक्षक  साधनों का खेल में उपयोग होने लगा है। ऐसे इस खेल में बदलाव के बावजूद भी हॉकी के जादूगर कहलाने वाले मेजर ध्यानचंद का नाम आज भी वही आदर भाव से इस खेल के साथ जुड़ा है।   हॉकी खेल के बारे में अधिक जानकारी लेते हैं।  टीम - इस खेल के टीम में 16 खिलाड़ी होते हैं, प्रत्यक्ष मैदान में 11 खिलाड़ी खेलते हैं।   खेल का अवधि- पैतीस- पैतीस मिनट के दो पारियां खेली जाती है दो पारी के बीच पांच से 10 मिनट का

घंटो एक जगह पर बैठकर काम करने से होने वाले शारीरिक नुकसान।

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  घंटो एक जगह पर बैठकर काम करने से होने वाले शारीरिक नुकसान। आज की डिजिटल युग में शारीरिक मेहनत कम होकर स्मार्ट वर्क का दौर चल रहा है। जिसका परिणाम घंटों एक जगह पर बैठकर लोग अपना काम करते हैं। जिसका परिणाम उनके स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर करता है।  घंटों एक जगह पर बैठकर काम करने से होने वाली शारीरिक हानि।  1 डायबिटीज-  ज्यादा देर तक एक जगह पर बैठने से मेंटालीज़म कमजोर होने से शरीर में डायबिटीज (मधुमेह) होने की संभावना बढ़ जाती है। 2 गर्दन में दर्द- बहुत देर तक एक पोजीशन में बैठने से हमारी गर्दन की नस से अकड़ जाती है। बाद में वह बड़ी बीमारी का रूप लेती है।  3 लंग्स की समस्या - ज्यादा देर तक एक जगह पर बैठना हमारी लाइफ पर भी प्रभाव करती है जिसके परिणाम हमारा शरीर में कई समस्या उत्पन्न होती है। 4 हार्ट प्रॉब्लम -  घंटों एक जगह पर बैठकर काम करने वाले अक्सर हार्ट की प्रॉब्लम के शिकार होते हैं। 5 हाई ब्लड प्रेशर-   निरंतर बैठे काम करने वाले व्यक्ति आगे चलकर हाई ब्लड प्रेशर से ग्रसित हो सकते हैं।  6 रीड की हड्डी की समस्या-   बैठे काम करने वक्त गलत तरीके से बैठना। इससे हमारी रीढ़ की हड्डी में दर्

विरभद्रासन-१ करने की विधि और लाभ।

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  विरभद्रासन-१ करने की विधि और लाभ। इस आसन में हमारे शरीर की मुद्रा वीर समान दिखती है इसलिए इसे वीरासन कहा जाता  है। वीरभद्रासन 1 करने की विधि। 1 सामान्य रूप से सीधा खड़े रहे , अब सीधे पैर को जितना हो सके उतना सामने निकालें। 2 अब सामने का घुटना मोडकर (बेण्ड) कमर को नीचे ले जाये। 3 दोनों हाथ घुटने के पास लाकर मिलाएं।(नमस्कार कि स्थिति) 4 अब हाथ धीरे - धीरे बगैर मोड़े हुए पूरे ऊपर आकाश की ओर ले जाए। 5 हो सके उतना पीछे, ज़ूकने की कोशिश करें। 6 अब इसी पोजीशन में  कम से कम 1 मिनट तक रुके। 7 अब धीरे-धीरे मूल अवस्था मे आये। 8 यही कृति आपको दूसरे पैर के साथ भी करनी है।   इस आसन के लाभ। 1 इस आसन से कमर और जांघ की चर्बी कम होती है।  2 हमारे रीढ़ की हड्डी मजबूत और लचीली बनती है। 3 कंधे के स्नायु और गर्दन के स्नायु भी मजबूत होते हैं।  5 यह वेट लॉस और एकाग्रता बढ़ाने में मददगार आसन है। 6 एथलीट खिलाड़ियों को यह आसन काफ़ी लाभ मिलता है। आसन करने से पूर्व सावधानी -  घुटना, या रीढ़ की हड्डी मे या गर्दन में कोई तकलीफ हो या दर्द हो तो ऐसी स्थिति में इस आसन को ना करें ।

स्वतंत्रता दिन और प्रजासत्ताक दिन के अवसर पर ध्वजारोहण करने में क्या अंतर होता है।

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स्वतंत्रता दिन और प्रजासत्ताक दिन के अवसर पर ध्वजारोहण करने में क्या अंतर होता है। 15 अगस्त 1947  भारतीय स्वतंत्रता दिन, इस दिन हमारे देश को अंग्रेजों से आजादी मिली थी। भारत देश  ब्रिटिश राजवट से आजाद हुआ था।   26 जनवरी 1950 - भारतीय प्रजासत्ताक दिन  इस दिन से भारत देश का संविधान लागू किया गया,  इस राज्यघटना के अनुसार भारत देश का अपना शाशन शुरू हुआ, हम सब भारतीयों को लोकाधिकार प्राप्त हुए।   15 अगस्त स्वतंत्रता दिन और 26 जनवरी प्रजासत्ताक दिन को ध्वज लहराने मे फर्क।   पहला फर्क  - ध्वजारोहण करने वाला व्यक्ति।  15 अगस्त स्वतंत्रता दिन को देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर ध्वज लहराते है। और 26 जनवरी को भारत देश के राष्ट्रपति राजपथ पर पर ध्वज लहराते हैं। दूसरा फर्क - राष्ट्रीय ध्वज की जगह-  15 अगस्त को ध्वज, ध्वज स्तंभ  को नीचे बंधा हुआ होता है, और उसे रस्सी के सहारे ऊपर चढ़ाया जाता है और बाद में फहराया जाता है।  इसके विपरीत  26 जनवरी को ध्वज, ध्वज स्तंभ के ऊपरी हिस्से में बंधा होता है। राष्ट्रपति रस्सी खींच कर वहीं पर ध्वजारोहण करते हैं।  तीसरा फर्क - ध्वजारोहण करने की जगह  15 अगस्त को प्र

गर्दन दर्द में राहत और गर्दन को मजबूत बनाने वाले व्यायाम प्रकार।

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  गर्दन दर्द में राहत और गर्दन को मजबूत बनाने वाले व्यायाम प्रकार।   गर्दन के दर्द से हमें बहुत पीड़ा होती है। जिससे बचने के लिए हमें कुछ व्यायाम प्रकार करना आवश्यक होता है। आज उसी के तहत कुछ व्यायाम प्रकार की हम जानकारी लेंगे, जो गर्दन को मजबूत और गर्दन के दर्द से राहत देते हैं,  जो इस प्रकार है।  1 गर्दन को राइट से लेफ्ट  और राइट टू लेफ्ट स्ट्रेच करना-   A) यह व्यायाम प्रकार करने के लिए आप (स्टैंडिंग पोजीशन) खड़े रहकर अथवा बैठकर भी यह व्यायाम प्रकार कर सकते हो। B यह व्यायाम करने से पूर्व आपको शिधे खड़े रहना है। अपने हाथ को पीछे बांध देना है या हाथ की पकड़ बनाकर पीछे रखना है। C आप अपने बॉडी और अपनी गर्दन को सीधा रख कर अपनी गर्दन को धीरे से लेफ्ट से राइट की तरफ पूरा स्ट्रेच  करना है, घुमाना है। अब यही क्रिया राइट से लेफ्ट की ओर गर्दन को घुमाना है। यह क्रिया आपको लगातार 10 से 15 बार लगातार करना है।  2 अपनी गर्दन को ऊपर और नीचे स्ट्रेच करना। A यह व्यायाम प्रकार को करने के लिए आपको अपनी गर्दन को सीधा रखना है।  B आप हल्के से अपनी गर्दन को नीचे की ओर लाना है।  C अब नीचे से ऊपर की ओर प्रेस क

भालफेक के नियम और मैदान की जानकारी।

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  भाला फेक  टोकियो ओलंपिक में भारत को अपना पहला गोल्ड मेडल इसी खेल में मिला है। भारत के खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने यह मिडल दिलाया है। भाला फेक एक ट्रैक एंड फील्ड एथलीट प्रतियोगिता है। नीरज ने 87.58 मीटर भाला फेंककर गोल्ड मिडल पर मोहर लगाई है। भालफेक के नियम और मैदान की जानकारी। 1 धावन मार्ग-  भालफेक का धावन मार्ग 4 मीटर चौड़ा होता है। धावन मार्ग 30 मीटर से कम और 36. 5 मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। 2 भाला फेक 29° कोन सेक्टर से फेकना होता है।  3 कोन बिंदु से  8 मीटर पर 7 सेंटीमीटर का चाप बिठाया हुआ होता है। भाला फेकते समय अगर खिलाड़ी का स्पर्श इससे होता है तो यह फ़ाउल माना जाता है। 4 चाप के बाहरी हिस्से में 1.5 मीटर की लाइनें होती है, इस लाइन को खिलाडी का स्पर्श होना फ़ाउल होता है। 5 भाले की लंबाई-   260 सेंटीमीटर से 270 सेंटीमीटर तक पुरुषों के लिए। 220 सेंटीमीटर से 230 सेंटीमीटर तक महिलाओं के लिए होती है।  6 भाले का वजन-  800 ग्राम पुरुषों के लिए।  600 ग्राम महिलाओं के लिए।  *भाला फेंक के रूल्स और फाउल*  1 भाले की पकड़ पकड़ की जगह पर ही होना चाहिए।  2 भाला फेकने के बाद भाले का मेटल का नोक सबस

टोकियो ओलंपिक 2021 मे भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक में सेमीफाइनल मे अपनी जगह बनाई ।

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टोकियो ओलंपिक मे भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने सेमीफाइनल मे अपनी जगह बनाई.! टोकियो ओलंपिक 2021 मे भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक में सेमीफाइनल मे अपनी जगह बनाई है। भारतीय हॉकी संघ के कोच ग्राहम रीड और कप्तान मनप्रीत सिंह के नेतृत्व में 41 सालों के लंबे अंतराल के बाद भारतीय हॉकी संघ सेमीफाइनल में पहुंच पाया है। इससे पूर्व 1980 मे मॉस्को ओलंपिक मे भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने अपना आखरी सुवर्ण पदक प्राप्त किया था।  इसके पहले भारतीय हॉकी टीम ने 8 सुवर्ण पदक की कमाई की है। आज खेले गए क्वार्टर फाइनल सामना में ग्रेट ब्रिटन  की टिम को 3-1 से हराकर यह जीत हासिल की है।     अब भारतीय संघ विश्व चैंपियन रह चुके बेल्जियम संघ के साथ भिडने वाला है।  ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध ग्रुप स्टेज में 1-7 से हारने के बाद भारतीय संघ में अपनी जबरदस्त वापसी कर लगातार 4 सामने जीत जीतकर सेमीफाइनल में अपना स्थान पक्का किया है।

कोरोना काल में खिलाड़ियों को ऑनलाइन स्ट्डी से होने वाले लाभ और नुकसान।

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  कोरोना काल में खिलाड़ियों को ऑनलाइन स्ट्डी से होने वाले लाभ और नुकसान।  आज से 1 साल पूर्व करोना कि हमारे देश में आगमन से हर क्षेत्र को नुकसान हुआ है, उससे हमारा क्रीड़ा क्षेत्र भी नहीं बचा है। इससे हमारी जीवन पद्धति ही बदल गई है। हम मानव समाज प्रिय प्राणी है, हम अपनी खुशी और दुख आपस में बांटते हैं। इसलिए जो खुशी की बातें होती है वह, दुगनी होती है और संकट या दुख के समय में हमारे दोस्त, रिश्तेदार अपनी दुःख में शामिल होकर उसकी तीव्रता को कम करने का काम करते हैं। अब करोना काल में एक दूसरे से दूरी बना के रखना हमारी मजबूरी है, इस कोरोना के लंबे दौर में इसका विपरीत परिणाम हमारे जीवन शैली पर भी हुआ है।      खेल के मैदान बंद होने से खिलाड़ियों का नुकसान।  करोना काल मे  खेल के मैदान पर पाबंदी लग जाने से नियमित रूप से अभ्यास करने वाले खिलाड़ी अपने प्रैक्टिस से वंचित हुए हैं। मैदान छूट जाने से अपनी प्रेक्टिस का स्तर काफी गिर चुका है। अपने मार्गदर्शक  की देखरेख में किया जाने वाला वर्कआउट से खिलाड़ी वंचित हो गए हैं। इसका परिणाम खिलाड़ी अपनी गलतियों को नहीं सुधार पा रहे हैं। कुछ खिलाड़ी का तो मैदान से