बालासन करने की विधि और लाभ। How to do practice balasana।
बालासन करने की विधि और लाभ। How to do practice balasana।
बालासन यह एक संस्कृत शब्द है इसमें ( बाल+ आसन) बाल का अर्थ होता है शिशु और आसन का मतलब मुद्रा शिशु जैसी मुद्रा। कभी-कभी बालक इसी अवस्था में सोते हैं यह एक आराम की स्थिति है।
बालासन करने की विधि
१ सबसे पहले आप योगा मैट पर वज्रासन में बैठ जाए।
२ इस अवस्था में दोनों हाथ ऊपर की ओर सीधे कर सांस भरना है।
३ अब कमर से सामने की ओर सांस छोड़ते हुए अपना माता जमीर पर टेक देना है।
४ अगर आपका माथा जमीन पर टिकने में दिक्कत हो तो अपना हाथ के पंजों की मुठ्ठी बनाकर उसपर अपना सर कम से कम 5 मिनट रखना है।
५ अब सांस भरकर ऊपर मूल स्थिती वज्रासन में आ जाए।
बालासन के फायदे
१ बालासन नियमित रूप से करने से पाचन क्रिया में सुधार होता है।
२ पेट की सभी समस्याओं में लाभ होकर चर्बी कम होती है।
३ रीड की हड्डी लचीली और मजबूत होती है।
४ पैर के सभी अंगों का विकास होता है।
५ रक्त प्रवाह सिर तक होने से मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ती है।
नोट- १ घुटना या पैर में चोट हो तो यह आसन ना करें।
२ उच्च रक्तचाप या सिर दर्द में भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
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