कपालभाति प्राणायाम

 कपालभाति प्राणायाम

 प्राणायाम: भारत के प्राचीन आयुर्वेद का अर्वाचीन वैदिक शास्त्र से गहरा संबंध है। इसलिए भारत में ही नहीं बल्कि पाश्चात्य देशों में भी काफी संख्या में लोग प्राणायाम करते हैं। नियमित रूप से प्राणायाम करने से बेहतर स्वास्थ्य का लाभ होता है। साथ ही हमारे लग्ज (फेफड़े) की कार्य क्षमता बढ़ती है और ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन हमारे शरीर में पहुंचता है।

 कपालभाति 

 कपाल का संस्कृत में माथा ऐसा अर्थ होता है, और भाती का अर्थ प्रकाशमान ऐसा होता है। इसलिए माथे का तेज बढ़ाने वाला यह व्यायाम प्रकार है।


 विधि

1 पद्मासन अथवा सिद्धासन में बैठ जाए। 

2 हाथ अपने घुटने पर रखकर आखें बंद कर ले।

3 अब लंबी सांस लेकर पेट को अंदर की तरफ फसलियो को लगाने की कोशिश करें।

 4 यह क्रिया लगातार 10 से 20 बार करें।

5 इस क्रिया को तीन आवर्तनो में करें।


 लाभ

 1 कपालभाति प्राणायाम करने से माथा, श्वसन संस्था और स्वशण मार्ग खुल जाता है।

2 हमारे फेफड़ों में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है।

3 शरीर में से कार्बन डाइऑक्साइड बड़ी मात्रा में बाहर निकाल कर खून की शुद्धिकरण का कार्य होता है।

4 हृदय, स्वशन संस्था, रूधिराभिसरण और पाचन संस्था कार्यक्षम बनती है।

5 हमारा शरीर स्वस्थ होता है।


नोट - बीमार अथवा दिल के मरीज यह प्राणायाम करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह लें।



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