सोने की आदर्श स्थिति कैसी हो।

 सोने की आदर्श स्थिति।


 सर्वोत्तम सोने/लेटने की स्थिति एक ऐसा अंग विन्यास  है जिसमें शरीर के सभी अंग इस प्रकार की स्थिति में रहते हैं, जिसमें शरीर पर न्यूनतम खिंचाव तथा तनाव पैदा हो। कोई व्यक्ति सामान्यत: विश्राम अथवा सुस्ताना चाहता है, तो वह इसके सर्वोत्तम अंगविन्यास में सिधे पीठ के बल बिस्तर या फर्श पर लेटता है, जिसमें उसकी टांगें सीधी पूरी तरह से आगे की ओर खुली रहती है तथा पंजे थोड़ी दूरी पर आरामदायक स्थिति में रहते हैं। बांह और शरीर के बाजू सीधे रहते हैं। यह शरीर विन्यास योग क्रियाओं के शवासन के लगभग समान होता है, जिसे की विश्राम के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। 

   बिस्तर एकदम मजबूत होना चाहिए। वह न ही कठोर हो और ना ही स्प्रिंग, पंच का हो। ऐसे अवांछनीय बिस्तर शरीर की संधिया धंसा देते हैं, उचे तकिए गर्दन की पेशियों में खिंचाव पैदा कर देते हैं। तथा सिर के लिए समुचित रक्त प्रवाह को रोकते हैं। सोते समय ना तो पेट के बल सोना चाहिए और ना ही एक तरफ भी सोना समुचित होता है। चाहे वह दाहिनी या बाई और हो। 

ऐसा अवलोकन किया गया है कि, एक तरफ थोड़े से घुटने मोड़कर आरामदायक स्थिति में सोने की स्थिति को सोने की एक उत्तम विधि माना गया है।

      लेटे रहने के लिए शरीर के विन्यास को बिना सही ज्ञान के और उसके बारे में बिना जानकारी के उपेक्षित किया जाता है। यह शारीरिक विन्यास अन्य विन्यास कि तुलना में अधिक महत्वपूर्ण होता है। यहॉ शारीरिक विन्यास किसी के भी शरीर तथा मस्तिष्क को विश्राम देने की उच्चता को अनुभव कराता है। 

सोना केवल एक क्रिया मात्र नहीं है बल्कि यह एक प्रक्रिया है, यह शरीर तथा मस्तिष्क दोनों को अगले दिन का सामना करने के लिए पून: यौवनता प्रदान करती है।



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