व्यायाम का पाचन तंत्र पर होने वाले प्रभाव।

 व्यायाम का पाचन तंत्र पर होने वाले प्रभाव। 


शरीर जो अंग व्यायाम में भाग ले रहे होते हैं उन्हें रक्त की अधिक आवश्यकता होती है। छोटी और बड़ी आत के आस पास की जमा कुछ रक्त व्यायाम के समय वहा से  हटकर व्यायाम  में हिस्सा ले रहे अंगों में चला जाता है। व्यायाम  भोजन करने के कम से कम 3 घंटे बाद शुरू करना चाहिए क्योंकि ऐसा नहीं करने पर पाचन शक्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है। भोजन को अमाशय से निकलने के लिए भी 3 घंटे का समय लग जाता है। ऐसा करने से बचा हुआ भोजन शरीर में कोई रुकावट पैदा नहीं करता है।


पाचन तंत्र पर व्यायाम के निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं।


 1 नियमित व्यायाम करने से लार ग्रंथियों के कार्य करने की क्षमता तीव्र गति से बढ़ती है।

2 नियमित व्यायाम करने से खुलकर भूख लगती है। कब्ज जैसी बीमारी सदैव दूर रहती है।

3  नियमित व्यायाम से आंतो में दोष उत्पन्न करने वाले विकारों का नाश हो जाता है। तथा आवश्यक तत्वों की वृद्धि होती है , जिनकी जरूरत के समय प्रयोग किया जा सकता है। 

4 पेट और अमाशय की शक्ति में नियमित व्यायाम करने से। अप्रत्याशित वृद्धि होती है।

5 लीवर भोजन को शीघ्र ही पचा लेने में सक्षम बनाता है। 

6 नियमित व्यायाम से आंतों की एक बढ़िया मालिश होती है, जिससे मल त्यागने  करने में आसानी होती है।

7 नियमित व्यायाम से शरीर की पाचन प्रणाली सुव्यवस्थित ढंग से चलती है। 

8 नियमित व्यायाम करने से पाचन शक्ति मजबूत बनती है, जिससे चेहरा कांतिवान और स्फूर्ति दायक बना रहता है।

9 हम तंदुरुस्त होते है , जिस कारण अपने दैनिक काम अच्छे तरह से कर सकते  है।

10 हम अपने हर काम को अच्छे तरह से अंजाम दे सकते है।

व्यायाम का पाचन तंत्र पर होने वाले प्रभाव।



टिप्पणियाँ

  1. व्यायाम का पाचन तंत्र पर होने वाले प्रभाव।



    शरीर जो अंग व्यायाम में भाग ले रहे होते हैं उन्हें रक्त की अधिक आवश्यकता होती है। छोटी और बड़ी आत के आस पास की जमा कुछ रक्त व्यायाम के समय वहा से हटकर व्यायाम में हिस्सा ले रहे अंगों में चला जाता है। व्यायाम भोजन करने के कम से कम 3 घंटे बाद शुरू करना चाहिए क्योंकि ऐसा नहीं करने पर पाचन शक्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है। भोजन को अमाशय से निकलने के लिए भी 3 घंटे का समय लग जाता है। ऐसा करने से बचा हुआ भोजन शरीर में कोई रुकावट पैदा नहीं करता है।



    पाचन तंत्र पर व्यायाम के निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं।



    1 नियमित व्यायाम करने से लार ग्रंथियों के कार्य करने की क्षमता तीव्र गति से बढ़ती है।

    2 नियमित व्यायाम करने से खुलकर भूख लगती है। कब्ज जैसी बीमारी सदैव दूर रहती है।

    3 नियमित व्यायाम से आंतो में दोष उत्पन्न करने वाले विकारों का नाश हो जाता है। तथा आवश्यक तत्वों की वृद्धि होती है , जिनकी जरूरत के समय प्रयोग किया जा सकता है।

    4 पेट और अमाशय की शक्ति में नियमित व्यायाम करने से। अप्रत्याशित वृद्धि होती है।

    5 लीवर भोजन को शीघ्र ही पचा लेने में सक्षम बनाता है।

    6 नियमित व्यायाम से आंतों की एक बढ़िया मालिश होती है, जिससे मल त्यागने करने में आसानी होती है।

    7 नियमित व्यायाम से शरीर की पाचन प्रणाली सुव्यवस्थित ढंग से चलती है।

    8 नियमित व्यायाम करने से पाचन शक्ति मजबूत बनती है, जिससे चेहरा कांतिवान और स्फूर्ति दायक बना रहता है।

    9 हम तंदुरुस्त होते है , जिस कारण अपने दैनिक काम अच्छे तरह से कर सकते है।

    10 हम अपने हर काम को अच्छे तरह से अंजाम दे सकते है।

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