पर्वतासन करने की विधि और लाभ।


 पर्वतासन 

 इस आसन को वियोगासन भी कहा जाता है। इसमें मुख्य रूप से  यौगिक तंत्र का समावेश  होता है। यह आसन निरोगी व्यक्ति ने ही करना चाहिए।

 कृति/ विधि - 

1 सबसे पहले पद्मासन में बैठना है।

2 दोनों हाथ धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाना है।

 3 इसके बाद दोनों हाथ नमन स्थिति में रखना है।

4 दोनों हाथ पूरी तरह से सीधे बगैर मोड़े रखना है। 

5 सांस की गति मंद चाहिए।

 6 सुरु में  इस स्थिति में एक से दो मिनट तक बैठना चाहिए, बाद में यह समय बढ़ाना चाहिए।


 फायदे /लाभ- 

1इस आसन  में दोनों हाथ ऊपर की ओर होने की वजह से प्राण वायु की गति तेज होती है।

2 यह आसन करते समय। 10 से 15 मिनट सूर्य भेदन या अनुलोम- विलोम प्राणायाम करना चाहिए। इससे  पेट और रीड की हड्डी के विकार ठीक हो जाते हैं। 

3 हाथो के स्नायु का अच्छी तरह व्यायाम होता है।

 4 स्वसन क्षमता में अच्छी तरह से बढ़ोतरी होती है।

5 यह आसन के नियमित रूप  से करने पर रीढ़ की हड्डी में अगर सूजन हो, तो उसमें आराम मिलता है

टिप्पणियाँ

  1. पर्वतासन

    इस आसन को वियोगासन भी कहा जाता है। इसमें मुख्य रूप से यौगिक तंत्र का समावेश होता है। यह आसन निरोगी व्यक्ति ने ही करना चाहिए।

    कृति/ विधि -

    1 सबसे पहले पद्मासन में बैठना है।

    2 दोनों हाथ धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाना है।

    3 इसके बाद दोनों हाथ नमन स्थिति में रखना है।

    4 दोनों हाथ पूरी तरह से सीधे बगैर मोड़े रखना है।

    5 सांस की गति मंद चाहिए।

    6 सुरु में इस स्थिति में एक से दो मिनट तक बैठना चाहिए, बाद में यह समय बढ़ाना चाहिए।



    फायदे /लाभ-

    1इस आसन में दोनों हाथ ऊपर की ओर होने की वजह से प्राण वायु की गति तेज होती है।

    2 यह आसन करते समय। 10 से 15 मिनट सूर्य भेदन या अनुलोम- विलोम प्राणायाम करना चाहिए। इससे पेट और रीड की हड्डी के विकार ठीक हो जाते हैं।

    3 हाथो के स्नायु का अच्छी तरह व्यायाम होता है।

    4 स्वसन क्षमता में अच्छी तरह से बढ़ोतरी होती है।

    5 यह आसन के नियमित रूप से

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