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स्वसन तंत्र पर व्यायाम का होने वाला प्रभाव।

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  स्वसन तंत्र पर व्यायाम का होने वाला प्रभाव।  मानवी शरीर के लिए ऑक्सीजन (O2 )की आवश्यकता होती है। इसकी अनुपस्थिति में शरीर का कार्य नहीं चल सकता। यदि 4 मिनट  तक शरीर में  O2  का प्रवेश रोक दिया जाए, तो वह व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। इसके अतिरिक्त कोशिकाओं में लगातार रासायनिक परिवर्तन होते रहते हैं। इन रासायनिक परिवर्तनों के कारण C02   (कार्बनडाय ऑक्साइड ) पैदा होता है, C0 2  को भी निरंतर निकास की जरूरत होती है।  वास्तव में स्वसन क्रिया के दो प्रकार है। अंतरिक  स्वशन क्रिया और बाहरी स्वसन क्रिया। जब हम सांस के द्वारा ऑक्सीजन को अंदर ले जाते हैं, तो कुछ समय के बाद रासायनिक प्रक्रिया होती है। जिसके कारण  कार्य पदार्थ पैदा हो जाते हैं। यह कार्य पदार्थों को बाहर निकालने के लिए व्यायाम  सबसे उपयुक्त साधन है। स्वसन तंत्र पर व्यायाम के कारण पड़ने वाले प्रभाव प्रभाव कुछ इस प्रकार है। 1 फेफड़े रक्त प्रभाव में बढ़ोतरी करते हैं जिसके परिणाम स्वरुप क्रिया में श्वसन दर बढ़ जाती है।  2 स्वसन क्रिया से संबंधित मांसपेशियों में ताकत बढ़ जाती है। 3 जो कोशिकाएं स्वसन क्रिया के समय उपयोग में नहीं आती है

मॉडिफाई पुशअप्स करने की विधि और लाभ।

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  मॉडिफाई पुशअप्स  जो व्यक्ति कमजोर है अथवा पुशअप्स करना प्रारंभ कर रहे हैं, उन व्यक्ति के लिए और खासकर लड़कियों एवं महिलाओं के लिए यह मॉडिफाई पुश अप्स  काफी फायदेमंद है। विधी/ कृति - 1 सबसे पहले आपको अपने दोनों पैर मिलाकर घुटने पर आकर दोनों हाथ सामने जमीन पर रखकर फोटो में बताय पोज़िशन में बैठना है। मॉडिफाई पुशअप्स करने की विधि। 2 दोनों हाथ के बीच अपनी छाती से थोड़ा ज्यादा अंतर लेकर जमीन पर रखना है। 3 अपनी कमर को जमीन का स्पर्श नहीं होने देना है। 4 अब इस अवस्था में अपने दोनों पैर ऊपर की ओर रखने हैं।  5 अपने दोनों हाथों की कोहनी में से मोड़ना है। (फोल्ड) करना है, नीचे जमीन की तरफ जाना है। 6 आपका शरीर जमीन से एक से डेढ़ इंच ऊपर रखनी है।ध्यान रहे कि अपनी शरीर जमीन का स्पर्श नहीं होने देना है। 7 इस तरह नीचे जाकर मूल स्थिति में आना है। 8 पुशअप्स करते समय अपने दोनों हाथ पर अपने शरीर का भार बराबर होना चाहिए।  9 पुशअप्स करते समय ताल बद्ध तरीके से करना है, पर हरबडी नहीं करना है। 10 इस तरह से 10 से 15 पुश अप्स  एक सेट ऐसे तीन सेट कर के पूश अप्स कर सकते है।   लाभ- 1 पुशअप से होने वाले सभी लाभ इससे

व्यायाम का पाचन तंत्र पर होने वाले प्रभाव।

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  व्यायाम का पाचन तंत्र पर होने वाले प्रभाव।  शरीर जो अंग व्यायाम में भाग ले रहे होते हैं उन्हें रक्त की अधिक आवश्यकता होती है। छोटी और बड़ी आत के आस पास की जमा कुछ रक्त व्यायाम के समय वहा से  हटकर व्यायाम  में हिस्सा ले रहे अंगों में चला जाता है। व्यायाम  भोजन करने के कम से कम 3 घंटे बाद शुरू करना चाहिए क्योंकि ऐसा नहीं करने पर पाचन शक्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है। भोजन को अमाशय से निकलने के लिए भी 3 घंटे का समय लग जाता है। ऐसा करने से बचा हुआ भोजन शरीर में कोई रुकावट पैदा नहीं करता है। पाचन तंत्र पर व्यायाम के निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं।  1 नियमित व्यायाम करने से लार ग्रंथियों के कार्य करने की क्षमता तीव्र गति से बढ़ती है। 2 नियमित व्यायाम करने से खुलकर भूख लगती है। कब्ज जैसी बीमारी सदैव दूर रहती है। 3  नियमित व्यायाम से आंतो में दोष उत्पन्न करने वाले विकारों का नाश हो जाता है। तथा आवश्यक तत्वों की वृद्धि होती है , जिनकी जरूरत के समय प्रयोग किया जा सकता है।  4 पेट और अमाशय की शक्ति में नियमित व्यायाम करने से। अप्रत्याशित वृद्धि होती है। 5 लीवर भोजन को शीघ्र ही पचा लेने में सक्षम बनाता

आंखों के लिए लाभदायक व्यायाम पद्धति।

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  आंखों के लिए लाभदायक व्यायाम पद्धति। मानव शरीर का सबसे छोटा और विकसित इंद्रीय आंखें होती है। हमारे सिर के हड्डी के ढांचे में यह सुरक्षित होती है, हवा कीे साथ उड़ने वाला कचरा आदि पदार्थ आंखों में ना जाने देने का काम हमारी पलकें करती है। पलकों के नीचे अंदर की ओर अश्रुपिंड होते हैं इसमें से आंसू बहते हैं, यह नमकीन और निर्जतूक होते हैं। जब हम अपनी आंखें बंद कर लेते हैं इस दौरान ही आंसू आंखों के एक सिरे से दूसरे सिरे तक फैल जाते हैं जिससे हमारी आंखों का स्वस्थ बना रहता है, और यह आंसू हमारी आंखों को साफ करने का काम करता है। हमारे जीवन में कलर भरने का काम हमारी आंखें करती है, इसलिए हमें इनका ख्याल रखना जरूरी होता है।   आंखों का स्वस्थ् बनाने के लिए हमें नीचे दिए कुछ आसान व्यायाम से पद्धति दी गई है। 1 आंखों पर दबाव देना-  यह क्रिया में आंखे और पलकों के आसपास के स्नायु के सहारे आंखें बंद करके उन पर दबाव देना है। इस स्थिति में पाच से दस सेकंड तक रुकना है यह। क्रिया लगातार 8 से 10 बार करनी है।   2 आंखों को दहीने और बाएं घुमाना -  हमे हमारी आँखों की पुतलियों को दहिने और बाय और ज्यादा से ज्यादा द

पर्वतासन करने की विधि और लाभ।

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  पर्वतासन   इस आसन को वियोगासन भी कहा जाता है। इसमें मुख्य रूप से  यौगिक तंत्र का समावेश  होता है। यह आसन निरोगी व्यक्ति ने ही करना चाहिए।   कृति/ विधि -  1 सबसे पहले पद्मासन में बैठना है। 2 दोनों हाथ धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाना है।  3 इसके बाद दोनों हाथ नमन स्थिति में रखना है। 4 दोनों हाथ पूरी तरह से सीधे बगैर मोड़े रखना है।  5 सांस की गति मंद चाहिए।  6 सुरु में  इस स्थिति में एक से दो मिनट तक बैठना चाहिए, बाद में यह समय बढ़ाना चाहिए।   फायदे /लाभ-  1इस आसन  में दोनों हाथ ऊपर की ओर होने की वजह से प्राण वायु की गति तेज होती है। 2 यह आसन करते समय। 10 से 15 मिनट सूर्य भेदन या अनुलोम- विलोम प्राणायाम करना चाहिए। इससे  पेट और रीड की हड्डी के विकार ठीक हो जाते हैं।  3 हाथो के स्नायु का अच्छी तरह व्यायाम होता है।  4 स्वसन क्षमता में अच्छी तरह से बढ़ोतरी होती है। 5 यह आसन के नियमित रूप  से करने पर रीढ़ की हड्डी में अगर सूजन हो, तो उसमें आराम मिलता है ।