त्रिकोणासन करने कि विधी और लाभ।

 त्रिकोणासन।

 इस आसन में हमारे शरीर का आकार त्रिकोणी दिखता है। इसलिए इसे त्रिकोणासन कहा जाता है।

 इस आसन के चार अवस्था है जो नीचे दिए गए है।


कृति / विधि -

1 दोनों पैर में असाधारणत: 75 सेंटीमीटर अंतर लेकर सीधे खड़े रहना है।

2 दोनों हाथ शरीर के पास सीधे रखने हैं।

3 हाथ धीरे-धीरे ऊपर कंधे के लाइन में लाना है।

4 हाथ के पंजे नीचे की ओर आएंगे इस तरह से रख कर सीधे खड़े रहना है। घुटने और हाथ सीधे रखने हैं।

5 उसके बाद सीधा हाथ ऊपर कर कर आप बाए पैर के अंगूठे को पकड़ना है। सीधे पैर के पंजे पर नजर रखकर बाद में बाया हाथ उपर की तरफ लेकर जाना है। अब सीधा हाथ सामने लेकर कंधे के लाइन में सीधा करना है। अब नजर हाथ पर स्थिर करना है। इस अवस्था में दो सेकंड रुकना है।

5 आखिरी में सीधे हाथ आपने कंधे के लाइन में सीधा करना है। नजर पैर के अंगूठे पर स्थिर करना है। इस अवस्था में कुछ देर वैसे ही रुकना है। बाएं पैर को स्पर्श करना है। यह त्रिकोण आसन की अंतिम अवस्था है। 

6 5 से 10 सेकंड आराम करके सीधा हाथ नीचे लाकर और बाया हाथ ऊपर कर कर यह आसन फिर से करना है। साथ ही हर स्थिति में 2 सेकंड तक रुकना है।

यह आसन हर दिन 4 से 5 बार करना है। 


फायदे :-

1 गर्दन में दर्द हो तो इस आसन में गर्दन दर्द मे आराम मिलता है।

2 गर्दन और कंधे के जोड़ों में दर्द हो तो इस आसन से सभी दर्द दूर होते हैं। साथ ही रीड की हड्डी, कमर, और कंधे यह स्नायु को आराम और व्यायाम होता है। 

3 रीड की हड्डी लचिली होकर मजबूत होती है। हमारा मनोबल बढ़ता है। दृष्टि सुधरती है।

4 किशोरावस्था में यह आसन करने पर कद बढ़ने में मदद होती है।



टिप्पणियाँ

  1. इस आसन में हमारे शरीर का आकार त्रिकोणी दिखता है। इसलिए इसे त्रिकोणासन कहा जाता है।

    इस आसन के चार अवस्था है जो नीचे दिए गए है।



    कृति / विधि -

    1 दोनों पैर में असाधारणत: 75 सेंटीमीटर अंतर लेकर सीधे खड़े रहना है।

    2 दोनों हाथ शरीर के पास सीधे रखने हैं।

    3 हाथ धीरे-धीरे ऊपर कंधे के लाइन में लाना है।

    4 हाथ के पंजे नीचे की ओर आएंगे इस तरह से रख कर सीधे खड़े रहना है। घुटने और हाथ सीधे रखने हैं।

    5 उसके बाद सीधा हाथ ऊपर कर कर आप बाए पैर के अंगूठे को पकड़ना है। सीधे पैर के पंजे पर नजर रखकर बाद में बाया हाथ उपर की तरफ लेकर जाना है। अब सीधा हाथ सामने लेकर कंधे के लाइन में सीधा करना है। अब नजर हाथ पर स्थिर करना है। इस अवस्था में दो सेकंड रुकना है।

    5 आखिरी में सीधे हाथ आपने कंधे के लाइन में सीधा करना है। नजर पैर के अंगूठे पर स्थिर करना है। इस अवस्था में कुछ देर वैसे ही रुकना है। बाएं पैर को स्पर्श करना है। यह त्रिकोण आसन की अंतिम अवस्था है।

    6 5 से 10 सेकंड आराम करके सीधा हाथ नीचे लाकर और बाया हाथ ऊपर कर कर यह आसन फिर से करना है। साथ ही हर स्थिति में 2 सेकंड तक रुकना है।

    यह आसन हर दिन 4 से 5 बार करना है।



    फायदे :-

    1 गर्दन में दर्द हो तो इस आसन में गर्दन दर्द मे आराम मिलता है।

    2 गर्दन और कंधे के जोड़ों में दर्द हो तो इस आसन से सभी दर्द दूर होते हैं। साथ ही रीड की हड्डी, कमर, और कंधे यह स्नायु को आराम और व्यायाम होता है।

    3 रीड की हड्डी लचिली होकर मजबूत होती है। हमारा मनोबल बढ़ता है। दृष्टि सुधरती है।

    4 किशोरावस्था में यह आसन करने पर कद बढ़ने में मदद होती है।

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