खुद को स्वस्थ कैसे रखे/ स्वस्थ रक्षा के नियम।

 स्वस्थ रक्षा के नियम।

स्वास्थ रक्षा के मुख्य रूप से निमलिखित छह वैज्ञानिक नियम बताए गए हैं।

1 शरीर पोषण के लिए उचित अन्न -

 शरीर के पोषण के लिए भोजन में पोषक तत्वों की उचित मात्रा में उपस्थिति अनिवार्य होनी चाहिए। इन पोषक तत्वों के द्वारा शरीर में किसी प्रकार का रोग नहीं होता और शरीर के सभी अंग अच्छी तरह से कार्य करते हैं। पोषक तत्वों में मुख्य रूप से वसा प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज, लवण और जल का होना जरूरी है। जल से यहा अर्थ है कि पर्याप्त मात्रा में जल पीना चाहिए और जिस जल का हम प्रयोग कर रहे हैं, वह जल स्वच्छ होना चाहिए। पीने या स्नान करने में गंदे जल का प्रयोग करते हैं।तो उसे रोग की संभावना अधिक होती है।

2 प्रकाश और शुद्ध वायु- 

प्रत्येक व्यक्ति को शरीर से अर्थ है कि वह ऐसी जगह पर ना रहे जहां दिन में भी अंधकार हो और अंधकार में रहते हो तो उससे शरीर पीला पड़ जाता है और व्यक्ति बीमार हो जाता है। अंधकार में विभिन्न प्रकार के कीटाणुओं और रोगानु उपस्थित रहते हैं। साथ ही शुद्ध वायु का अर्थ है कि जहां पर व्यक्ति रहे वहां पर गंदे नाले या फैक्ट्री या ना हो और जहां पर पास पड़ोस में कूड़ा करकट सड कर  वायु को प्रदूषित करते हैं तो व्यक्ति ऐसे स्थानों पर नहीं रहना चाहिए क्योंकि वहां बीमारी होने का अधिक खतरा रहता है। 

3 मल, मूत्र, पसीना आदि का यथा नियम निकालना- 

मल, मूत्र, पसीना शरीर से बाहर निकलना चाहिए इसके लिए व्यक्ति को सर्वप्रथम अच्छी आदतें डालना चाहिए जिससे समय-समय पर व्यर्थ पदार्थ शरीर से बाहर निकले। पसीना निकलने के बाद शरीर को स्वच्छ कपड़े या तौलिया से पोछना चाहिए। पसीना गर्मी के कारण गर्मी के दिनों में निकलता है या नियमित व्यायाम या श्रम के कारण निकलता है इसके द्वारा शरीर के बेकार पदार्थ निकलते हैं पेशाब के द्वारा शरीर के बेकार पदार्थ निकलते हैं इसलिए व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। यदि यह पदार्थ शरीर से बाहर नहीं निकलते हैं तो शरीर पर बुरा असर डालते हैं।

4 सर्दी और गर्मी से शरीर की रक्षा करना।

सर्दी और गर्मी से शरीर की रक्षा करने के लिए मौसम के अनुसार वस्त्रों को पहनना चाहिए जिससे शरीर की सुरक्षा हो सके। सर्दी और गर्मी दोनों का प्रभाव विशेष रूप से त्वचा पर पड़ता है। ठंडी से बचने के लिए आप आग का भी प्रयोग करना चाहिए। गर्मी से बचने के लिए अधिक पानी पीना चाहिए और धूप से बचना चाहिए और दिन में दो-तीन बार स्नान करना चाहिए।

 5 उचित व्यायाम परिश्रम और विश्राम- 

शरीर के सभी अंग व्यायाम के द्वारा गतिशील रहते है इसलिए स्वस्थ रहने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को नियमित व्यायाम करना चाहिए। इसके लिए प्रत्येक व्यक्ती को नियमित प्रात: या साय काल सबसे अच्छा होता है व्यायाम 30 से 40 मिनट तक ही करना चाहिए। परिश्रम भी एक निश्चित समय तक करना चाहिए। अधिक करने पर व्यक्ति को परिश्रम भी एक निश्चित समय तक ही करना चाहिए। अधिक परिश्रम पर व्यक्ती को विश्राम की जरूरत पड़ती है। आराम प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिए परिश्रम के कारण थकान महसूस होती है जिससे शरीर में दर्द होता है। आराम से थकान दूर हो जाती है और व्यक्ति खोई हुई शक्ति पुनः प्राप्त करता है। परिश्रम करने से नींद भी अच्छी आती है इसलिए स्वस्थ रहने के लिए वह परिश्रम और विश्राम की आवश्यकता होती है।

6 विषाक्त द्रव्य और कीटाणुओं से बचना- 

स्वास्थ्य की रक्षा के लिए प्रत्येक व्यक्ति को विसाक्त द्रव्य से बचना चाहिए। विषाक्त द्रव्य से अर्थ है कि ऐसा द्रव्य है जो स्वास्थ्य को हानि पहुंचाता है जैसे शराब का तीव्र नशा, धतूरा का तीव्र नशा  मार्फीन का तीव्र नशा, भांग का तीव्र नशा, इत्यादी से और सिगरेट पीने से बचना चाहिए। साथ ही साथ व्यक्ति को रोग के किटानू  से भी रक्षा करनी चाहिए। इसके लिए बीमार व्यक्ति के साथ अधिक समय तक नहीं रहना चाहिए। स्वच्छ पानी पीना चाहिए। गंदे पानी में भी कीटाणु रहते हैं। ऐसे पानी को नहीं पीना चाहिए।

खुद को स्वस्थ कैसे रखे


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