विपरीत करनी आसन क्यों और कैसे करे।

 विपरीत करनी आसन

इस आसन में शरीर की स्थिति विपरीत होती है। मतलब नीचे सर और ऊपर पैर होते है इसलिए इसे विपरीत करनी आसन कहा जाता है।

कृति

 मूल स्थिति पीठ पर सो जाए पैर मिले हुए हाथ कमर के पास जमीन पर एक थोड़ी सांस लेकर दोनों पैर सीधे रखकर हातसे जमीन को हल्का दबाकर पर ऊपर उठाएं। पैर का जमीन से 30 अंश का कोण रहेगा।

2 बाद में 60° के कोन में रुख जाना है।

3 जमीन पर हाथ की कोनी रखकर हाथ के पंजे से कमर को ऊपर उठाकर पैर शिर के तरफ लाओ। 

4 पैर आकाश की तरफ रख कर शरीर को स्थिर  रखें। पीठ का जमीन से 45 से 60 अंश का कोण बना रहे। आंखें बंद कर सांसों पर ध्यान केंद्रित करें।

5 आसन छोड़ते समय आखे खोलें। पैर हल्के से सर की तरफ लाओ।

6 कमर का हाथ निकालकर जमीन पर रखें।

पैर 90 अंश में लाएंगे।

7 बाद में पैर 60°की कोंन में लाए। 

8 धीरे-धीरे पैर नीचे जमीन पर टिककर शरीर ढीला छोड़ कर शवासन में चले जाए।


 लाभ

1 पूरे शरीर का रक्तचाप सुधरता है। रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है।

2 हृदय,फेफड़े की कार्य क्षमता बढ़ती है।

3 पेट के स्नायु की क्षमता बढ़ती है।

 दक्षता।

1उच्च तथा कम रक्तचाप की। शिकायत वाले व्यक्ति यह आसन ना करें।

3 गर्दन तथा कान की दर्द में यह आसन न करे।




टिप्पणियाँ

  1. विपरीत करनी

    इस आसन में शरीर की स्थिति विपरीत होती है। मतलब नीचे सर और ऊपर पैर होते है इसलिए इसे विपरीत करनी आसन कहा जाता है।

    कृति

    मूल स्थिति पीठ पर सो जाए पैर मिले हुए हाथ कमर के पास जमीन पर एक थोड़ी सांस लेकर दोनों पैर सीधे रखकर हातसे जमीन को हल्का दबाकर पर ऊपर उठाएं। पैर का जमीन से 30 अंश का कोण रहेगा।

    2 बाद में 60° के कोन में रुख जाना है।

    3 जमीन पर हाथ की कोनी रखकर हाथ के पंजे से कमर को ऊपर उठाकर पैर शिर के तरफ लाओ।

    4 पैर आकाश की तरफ रख कर शरीर को स्थिर रखें। पीठ का जमीन से 45 से 60 अंश का कोण बना रहे। आंखें बंद कर सांसों पर ध्यान केंद्रित करें।

    5 आसन छोड़ते समय आखे खोलें। पैर हल्के से सर की तरफ लाओ।

    6 कमर का हाथ निकालकर जमीन पर रखें।

    पैर 90 अंश में लाएंगे।

    7 बाद में पैर 60°की कोंन में लाए।

    8 धीरे-धीरे पैर नीचे जमीन पर टिककर शरीर ढीला छोड़ कर शवासन में चले जाए।



    लाभ

    1 पूरे शरीर का रक्तचाप सुधरता है। रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है।

    2 हृदय,फेफड़े की कार्य क्षमता बढ़ती है।

    3 पेट के स्नायु की क्षमता बढ़ती है।

    दक्षता।

    1उच्च तथा कम रक्तचाप की। शिकायत वाले व्यक्ति यह आसन ना करें।

    3 गर्दन तथा कान की दर्द में यह आसन न करे।

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