योगाभ्यास के लाभ और जानकारी।

 योगाभ्यास

हम तंदुरुस्त रहने के लिए खेल, व्ययामप्रकार, सूर्यनमस्कार आदि का प्रयोग करते हैं। इसके अलावा योग का अभ्यास करने से भी हम शरीर और मन का संतुलन का विकास कर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं। योग आसनों का नियमीत सराव से हमारा शरीर, लचीला और रक्त संचार सुचारू रूप से काम करता है। इस वजह से हम रोग होने से प्रतिबंध लगा सकते हैं। शिवाय प्राणायाम से सांसों पर नियंत्रण कर मन शांती, एकाग्रता और बुद्धि का भी विकास होता है। योग करने से अपना व्यतिमत्व शारिरिक मानशिक सामाजिक भावनिक और आध्यात्मिक ऐसे विविध गुणों का समुच्चय एवं एकता निर्माण का सामर्थ्य भी योग शिक्षा मे है।

योगाभ्यास के फायदे

1 शरीर और मन स्वास्थ्य में सुधार होता है।

2 पीठ की रीड की हड्डी में लचीलापन आता है।

3 शरीर के अंत इंद्रियों का कार्य सुधरता है।

4 रक्ताभिसरण कार्य सुचारु रुप से होता है।

5 रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है।

6 मानसिक तनाव में कमी आती है।

7 काम में एकाग्रता बढ़ती   है।

8 थकान कम होती है।

9 बौद्धिक क्षमता का विकास होता है।

10 शारीरिक और मानसिक संतुलन होने से व्यक्तिमत्व का विकास होता है।

आसन क्या होता हैं?

स्थिर और सुख पूर्वक विशिष्ट स्थिति धारण करना और उस स्थिति में ज्यादा देर तक रुकने का प्रयास करना यह आसन कहलाता है।

आसनों के प्रकार।

1 ध्यानात्मक आसन!(meditative poses) पद्मासन ,स्वस्तिकासन, सिद्धासन यह ध्यानात्मक आसन होते हैं। प्राणायाम, धारना, ध्यान आदि करते समय मन एकाग्रता और मन  शांति के लिए इन आसनों के समूह का उपयोग होता है। 

2 शरीर संवर्धनात्मक आसन (cultural poses) सर्वांगासन, हलासन, चक्रासन आदि आसन इस समूह में आते हैं। स्नायु में खिंचाव निर्माण करना शरीर के संस्थाओं में समन्वय स्थापित करना, रक्तचाप, सुधारना, जोड़ और स्नायु में लचीलापन बढ़ाना अंत स्त्रावी ग्रंथि में उपयुक्त तथा कार्य क्षमता बढ़ाना यह सब फायदे होते हैं।

3 विश्रांति कारक आसने। (reparative poses) शवासन, मकरासन यह आसान इस समूह में आते हैं। शरीर और मन की थकान और तान-तनाव कम करने के लिए इन आसनों का लाभ होता है। निद्रानाश पर भी यह प्रभावी उपाय है।

 आसन के सिद्धांत

1 आसन जबरदस्ती अथवा झटके से नहीं करने  चाहिए।

2 योगासन यह केवल शारीरिक व्यायाम ना होकर मन का प्रशिक्षण भी है।

3 आसान में स्नायु में खिंचाव आता है और यह स्थिति उपयुक्त होती है।

4 आसन करते समय स्थिरता, शिथिलता और एकाग्रता इन सब का समावेश होना चाहिए। 

5 आसन करते समय शरीर स्थिति, उम्र, लिंग,व्याधि आदि बातों का ध्यान रखना चाहिए।

6 आसन अभ्यास करते समय वातावरण शांत होना चाहिए और स्नेह हमेशा खाली पेट सुबह या शाम में कर सकते हैं।

7 थकावट में तुरंत बाद आसन नहीं करनी चाहिए।

8 आसने बहुत ज्यादा ना करके कुछ थोड़े और पूरे एकाग्रता से करनी चाहिए।

 9 योगासन अच्छे मार्गदर्शक के निगरानीर में अथवा अच्छी तरह से सीखने के बाद ही करने चाहिये।



प्राणायाम वीडियो।


टिप्पणियाँ

  1. योगाभ्यास

    हम तंदुरुस्त रहने के लिए खेल, व्ययामप्रकार, सूर्यनमस्कार आदि का प्रयोग करते हैं। इसके अलावा योग का अभ्यास करने से भी हम शरीर और मन का संतुलन का विकास कर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं। योग आसनों का नियमीत सराव से हमारा शरीर, लचीला और रक्त संचार सुचारू रूप से काम करता है। इस वजह से हम रोग होने से प्रतिबंध लगा सकते हैं। शिवाय प्राणायाम से सांसों पर नियंत्रण कर मन शांती, एकाग्रता और बुद्धि का भी विकास होता है। योग करने से अपना व्यतिमत्व शारिरिक मानशिक सामाजिक भावनिक और आध्यात्मिक ऐसे विविध गुणों का समुच्चय एवं एकता निर्माण का सामर्थ्य भी योग शिक्षा मे है।

    योगाभ्यास के फायदे

    1 शरीर और मन स्वास्थ्य में सुधार होता है।

    2 पीठ की रीड की हड्डी में लचीलापन आता है।

    3 शरीर के अंत इंद्रियों का कार्य सुधरता है।

    4 रक्ताभिसरण कार्य सुचारु रुप से होता है।

    5 रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है।

    6 मानसिक तनाव में कमी आती है।

    7 काम में एकाग्रता बढ़ती है।

    8 थकान कम होती है।

    9 बौद्धिक क्षमता का विकास होता है।

    10 शारीरिक और मानसिक संतुलन होने से व्यक्तिमत्व का विकास होता है।

    आसन क्या होता हैं?

    स्थिर और सुख पूर्वक विशिष्ट स्थिति धारण करना और उस स्थिति में ज्यादा देर तक रुकने का प्रयास करना यह आसन कहलाता है।

    आसनों के प्रकार।

    1 ध्यानात्मक आसन!(meditative poses) पद्मासन ,स्वस्तिकासन, सिद्धासन यह ध्यानात्मक आसन होते हैं। प्राणायाम, धारना, ध्यान आदि करते समय मन एकाग्रता और मन शांति के लिए इन आसनों के समूह का उपयोग होता है।

    2 शरीर संवर्धनात्मक आसन (cultural poses) सर्वांगासन, हलासन, चक्रासन आदि आसन इस समूह में आते हैं। स्नायु में खिंचाव निर्माण करना शरीर के संस्थाओं में समन्वय स्थापित करना, रक्तचाप, सुधारना, जोड़ और स्नायु में लचीलापन बढ़ाना अंत स्त्रावी ग्रंथि में उपयुक्त तथा कार्य क्षमता बढ़ाना यह सब फायदे होते हैं।

    3 विश्रांति कारक आसने। (reparative poses) शवासन, मकरासन यह आसान इस समूह में आते हैं। शरीर और मन की थकान और तान-तनाव कम करने के लिए इन आसनों का लाभ होता है। निद्रानाश पर भी यह प्रभावी उपाय है।

    आसन के सिद्धांत

    1 आसन जबरदस्ती अथवा झटके से नहीं करने चाहिए।

    2 योगासन यह केवल शारीरिक व्यायाम ना होकर मन का प्रशिक्षण भी है।

    3 आसान में स्नायु में खिंचाव आता है और यह स्थिति उपयुक्त होती है।

    4 आसन करते समय स्थिरता, शिथिलता और एकाग्रता इन सब का समावेश होना चाहिए।

    5 आसन करते समय शरीर स्थिति, उम्र, लिंग,व्याधि आदि बातों का ध्यान रखना चाहिए।

    6 आसन अभ्यास करते समय वातावरण शांत होना चाहिए और स्नेह हमेशा खाली पेट सुबह या शाम में कर सकते हैं।

    7 थकावट में तुरंत बाद आसन नहीं करनी चाहिए।

    8 आसने बहुत ज्यादा ना करके कुछ थोड़े और पूरे एकाग्रता से करनी चाहिए।

    9 योगासन अच्छे मार्गदर्शक के निगरानीर में अथवा अच्छी तरह से सीखने के बाद ही करने चाहिये।


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