खो-खो खेल का मैदान और नियम की जानकारी।
खो-खो खेल का मैदान और नियम की जानकारी।
यह प्राचीन भारतीय खेल है जो दो टीमों के बीच खेला जाता है। इस खेल को एक तेज खेल के रूप में भी जाना जाता है। इसे बिना किसी बाहरी साधनों के बिना ही खेला जाता है।
खो-खो का मैदान
1 खो खो का मैदान, 27 मीटर लंबा और 16 मीटर चौड़ा होता है। पोल के पीछे का फ्री ज़ोन (free zone) डेढ़ मीटर का होता है।
3 पोल से पहले की पहली सेटिंग बॉक्स 2.55 मीटर पर होती है। और उसकी बाद के सभी बॉक्स 2.30 मीटर पर होते हैं।
4 प्लेयर को बैठने के लिए जो बॉक्स बनता है उसे सेटिंग बॉक्स कहते हैं वह 35 सेंटीमीटर बाय 30 सेंटीमीटर का होता है।
पोल
पोल की जमीन से ऊचाई लगभग 120 से 125 मीटर होती है।और पोल की गोलाई 9 से 10 सेंटीमीटर होती है।
खिलाड़ी
खो-खो के हर टीम में 12 खिलाड़ी होते हैं। चेजर टीम में 9 प्लेयर मैदान में खेलते हैं तथा तीन प्लेयर एक्स्ट्रा होते हैं।
खेल का समय
खोखो में 9 मिनट की दो पारियां खेली जाती है। इस बीच 5 मिनट का अंतराल होता है।
खेल के सामान्य नियम
1 रेफरी द्वारा टॉस किए जाने के बाद टीम कैप्टन दौड़ना या बैठना (चेजर) यह तय करते हैं
2 आठ खिलाड़ी विरुद्ध दिशा में अपना मुंह करके। बैठते हैं। और एक खिलाड़ी पोल के पास रनर को पकड़ने के लिए तैयार रहता है।
3 दौड़ने (चेजर)वाला खिलाड़ी। पीठ पर हाथ रखकर। अपने साथी खिलाड़ी को खो बोलने के बाद ही वह खिलाड़ी अपनी जगह छोड़ेगा।
4 जो खिलाड़ी को खो देना है उस खिलाड़ी के बॉक्स लाइन को एक पैर का स्पर्श होना चाहिए। अगर वह थोड़ा आगे झुकता है तो चलेगा।
5 खो देने के बाद वह खिलाड़ी तुरंत वह बॉक्स में बैठेगा।
6 दौड़ने वाला प्लेयर मध्य लाइन को टच या दूसरे हाफ के मैदान को टच हो तो वह फाउल कहलाएगा।
7 खो मिलने के बाद एक बार ही अपने शरीर को दिशा देनी है कि वह खिलाड़ी पीछे या कोई और बाजू नहीं मोड़ सकता।
8 मध्य लाइन से बने मैदान के दूसरे हिस्से में जाने के लिए उसे पोल से होकर गुजरना होगा।
9 फ्री ज़ोन में खिलाड़ी आगे या पीछे अपनी दिशा बदल सकता है।
10 बिना कोई फ़ाउल किए। अगर खिलाड़ी(चेजर) रनर को अपने हाथ से उसके शरीर को किसी भी हिस्से को छूता है तो वह प्लेयर आउट होता है।
11 रनर मैदान में तीन के जोड़ी में आते है। तीसरा प्लयेर आउट होते ही चेजर को खो देने चाहिय।
12 तीसरा प्लेयर आउट न होने पर कोई प्लेयर अंदर आ जाय तो वह खेल सकता है। पर वह मैदान में आकर वापस जाय तो इस शक्ल में वह आउट करार दिया जायेगा।
फ़ाउल
1 खिलाड़ी द्वारा अगले खिलाड़ियों को या रेफरी से दुर्व्यवहार करना।
2 मध्यरेषा को स्पर्श करना।
3 खो सही तरह से नही देना या खो मिलने से पहले ही अपनी जगह छोड़ देना।
4 चेजर खिलाड़ी द्वारा भागते समय अपनी दिशा बदलना।
5 बॉक्स में बैठे खिलाडी द्वारा रनर को अटकाव या परेशान करना।
6 रनर का बॉक्स में बैठे खिलाड़ियों को टच करना।
7 रनर खिलाड़ियों का मैदान से बाहर जाना या बाहरी मैदान को टच करना।
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यह प्राचीन भारतीय खेल है जो दो टीमों के बीच खेला जाता है। इस खेल को एक तेज खेल के रूप में भी जाना जाता है। इसे बिना किसी बाहरी साधनों के बिना ही खेला जाता है।
जवाब देंहटाएंखो-खो का मैदान
1 खो खो का मैदान, 27 मीटर लंबा और 16 मीटर चौड़ा होता है। पोल के पीछे का फ्री ज़ोन (free zone) डेढ़ मीटर का होता है।
3 पोल से पहले की पहली सेटिंग बॉक्स 2.55 मीटर पर होती है। और उसकी बाद के सभी बॉक्स 2.30 मीटर पर होते हैं।
4 प्लेयर को बैठने के लिए जो बॉक्स बनता है उसे सेटिंग बॉक्स कहते हैं वह 35 सेंटीमीटर बाय 30 सेंटीमीटर का होता है।