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मोटापे की समस्या का विस्लेषण और समाधान।

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  मोटापा (obesity ) आज हमारी जीवनशैली बदल चुकी है। पिछले तीस साल पहले के हालात और आज का जीवन में काफी बदलाव आ चुका है। आज इस आधुनिक युग में मानव अपनी मूल  प्रवृत्ति खो रहा है। आज हर एक श्रम अथवा मेहनत का काम यंत्र के माध्यम से होने लगे हैं। इस वजह से हमें काम भी घंटों एक जगह बैठ कर करना पड़ता है। इसलिए शरीर की हलचल। कम हो चुकी है साथ ही व्यायाम की आदत या व्यायाम के लिए समय निकालना भी इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में नहीं मिलता है। इस वजह से हमारा शरीर का वजन बढ़ रहा है आज आज की। खाद्य संस्कृती भी बदल गई है आज तेल से बने और फ्रिज किए हुए खाद्य हम खाने लगे हैं। इसका भी हमारे शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ने लगा है। स्थुलता या मोटापे का मतलब सिर्फ वजन बढ़ना नहीं होता है तो हमारे शरीर के स्नायु और हड्डी के प्रमाण में चर्बी का बढ़ना होता है। शरीर में मेद का होना आवश्यक होता है यह अतिरिक्त मेद हमें उठना, बैठना जैसी शरीर की सभी क्रियाओं में उसका उपयोग होता है। पर दैनदिन कार्य करने के बाद भी जो मेद बचता है, वह जमा होकर मोटापा में तब्दील होता है। मोटापा बढ़ने के लिए सहाय्यक आदतें या मददगार आदतें। 1 ज्यादा

नियमित व्यायाम करने से शरीर को होनेवाले लाभ।

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  नियमित व्यायाम करने से शरीर पर होने वाले परिणाम। 1 सर्वसाधारण लाभ। 2 शरीर की विविध कार्य संस्थाओं को होने वाले लाभ। 1 सर्वसाधारण लाभ  1 नियमित कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। 2 मानसिक स्वास्थ् सुधरता है। 3 बढ़ते हुए उम्र के अनुसार शारीरिक क्षमताओं में आने वाली कमी को घटाता है। 4 शरीर निरोगी होकर प्रतिकार शक्ति बढ़ती है। 5 बदलते मौसम से होने वाली बीमारी में कमी आती है। 2 शरीर के विविध कार्य संस्थाओं को होने वाले लाभ। 1 श्वसनक्रिया संस्था। व्यायाम करने से ह्रदय का आकार खून संचार की क्षमता, फेफड़ों की कार्य क्षमता में बढ़ोतरी होती है। प्रौढ़ और बुजुर्गो में उत्साह उत्साह बढ़ता है। 2 पाचन संस्था। व्यायाम करने से पाचन संस्था का विकास होता है। आत की बीमारियों से छुटकारा मिलता है। मोटापा कम होता है। 3 रक्ताभिसरण संस्था।  1 नियमित व्यायाम करने से हृदय का कार्य सुचारु रुप से चलता है।  2 रक्त संचार का कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। 3 खून में गांठ और रक्त नलिका छोटे होने की प्रक्रिया पर रोक लगती है।  4 स्नायु संस्था।  1 नियमित व्यायाम करने से शरीर के स्नायु मजबूत होकर ताकत और स्फूर्ति बढ़ती है।

शीर्षासन करने की विधी, लाभ और सावधानी।

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  शीर्षासन  शीर्षासन एक महत्वपूर्ण आसान है। शीर्ष मतलब सिर और इस आसन को सिर के बल किया जाता है। सभी आसनों में इसे महत्वपूर्ण आसन माना जाता है। यह शुरुआत में काफी कठिन होता है, पर नियमित सराव से यह आसन लगा सकते हैं।     शीर्षासन करने का तरीका।  1 शीर्षासन करने के लिए मैट पर एक नरम कपड़ा या तौवलिया रख ले उस पर अपना अभ्यास कर सकते हैं। 2 सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाए। 3 दोनों हाथ की उंगलियों को आपस में जोड़ लें,  इसके बीच अपना सर रख कर उसे सहारा देना है। 4 अब आगे झुक कर जमीनपर हाथ की कोहनी रखना है, पैर को घुटने पर लाना है। 5 अब सिर को दोनों हाथ के बीच में रखे। 6 पीठ और गर्दन सीधी रखकर पैरों को घुटने से मोड ले, इस स्थिति में ऊपर की तरफ ले जाए। 7 जमीन से शरीर का 90 औंस का कोन बना ले। 8 धीरे धीरे पैर सीधे करके आसन लगाने की कोशिश करें। 9 इस आसन का अभ्यास समय धिरे धिरे बढ़ा सकते है, यह आसन 30 सेकंड से 5 मिनट से ज्यादा न करे।   आसन को करने की दूसरी तकनीक। इस तकनीक में शुरुआत में पैर को घुटने से मोड़ कर अपनी दंड पर रखकर इस स्थिति में रुकने का अभ्यास से कुछ दिनों हम इस आसन को सहज लगा सकते हैं।  

चक्रासन करने की विधि और उसके लाभ।

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  चक्रासन  चक्रासन से शरीर की स्थिति गोलाकार चाक की तरह होती है। इसलिए इसे चक्रासन कहा जाता है। यह आसन थोड़ा मुश्किल है पर नियमित सराव से यह आसन को लगाया जा सकता है। यह आसन लचीलेपन और शरीर यष्टि के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान है। इस आसन से में शरीर में लचीलापन और स्फूर्ति का संचार होता है।  आसन करने की कृति।  1 मूल स्थिती आप पहले पीठ पर लेट जाए। 2 पैर घुटने से मोड़कर कमर के पास रख ले। 3 दोनों हाथ की कोहनी को मोड़कर सर के पास दोनों कान के बाजू में रख ले। 4 सांस लेकर कमर को ऊपर उठाएं हाथ और पैर को पूरा तान दें।  5 जब शरीर हवा में होता है तब अपना सिर नीचे पीठ की तरफ मोड़ ले। 6 आसन छोड़ते समय सांस छोड़ दे हाथ और पैर का तान देना, बंद करें। धीरे-धीरे नीचे जमीन पर मूल स्थिती में आए।   चक्रासन के लाभ। 1 रीड की हड्डी को लचीला और मजबूत बनाता है। 2 कमर की चर्बी कम होती है। 3 कंधे और पीठ के स्नायु मजबूत होते हैं। 4 पाचन तंत्र को सुधरता है।  5 हृदय की कार्य क्षमता बढ़ती है। 6 स्पूर्ति का संचार होता है।  चक्रासन करते समय यह सावधानी बरते। 1 इस आसन को जबरदस्ती ना करें। 2 बीमार या थकावट में यह आसन ना

अर्धमत्स्येन्द्रासन करने की विधि और लाभ।

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  अर्धमत्स्येंद्रासन।  इस आसन में रीढ़ की हड्डी को मरोड़ कर पेट के ऊपर उचित दाब दिया जाता है। इसलिए यह आसन बहुत महत्वपूर्ण है।  कृति 1 दोनों पैर को फैला कर दंडासन में बैठ जाए। 2 दहिना पैर घुटने से मोड़कर बाएं बगल में रखना है। 3 बाया पैर मोड़कर सीधे पैर के बाजु में रखें। इस समय घुटना सीधा खड़ा होना चाहिए। 4 दहिना हाथ कोहनी में से मोड़कर खड़े घुटने के ऊपर से सीधे हाथ के उंगलियों से पैर का अंगूठा या जांघ को पकड़े। 5 अब बाया हाथ कमर के पीछे से दाहिने जांघ को पकड़ो।  6 बाये बाजू में गर्दन मुड़ कर पीछे देखे। एकाग्र होने के लिये सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। आसन छोड़ते समय। 1सबसे पहले बाया हाथ बाजू में ले। 2 दहींने हाथ का मोड ढीला करें और हर बाजू में निकाल ले। 3 बाया हाथ और दाहिना पैर सीधा कर ले। इस तरह दूसरी बाजु से कृति करें।  टिप्पणी प्रैक्टिस करते समय कुछ दिन यह आसन टिकता नहीं है, इसलिए दो-तीन बार यह क्रिया करें इसके बाद यह आसन लगता है। आसान के लाभ बद्धकोष्ठता और मंदाग्नि के लिए यह आसन बहुत लाभदायक है। यकृत, प्लीहा और वुक्क का कार्य सुधरता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से भूख बढ़ती है रीढ़

विपरीत करनी आसन क्यों और कैसे करे।

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  विपरीत करनी आसन इस आसन में शरीर की स्थिति विपरीत होती है। मतलब नीचे सर और ऊपर पैर होते है इसलिए इसे विपरीत करनी आसन कहा जाता है। कृति  मूल स्थिति पीठ पर सो जाए पैर मिले हुए हाथ कमर के पास जमीन पर एक थोड़ी सांस लेकर दोनों पैर सीधे रखकर हातसे जमीन को हल्का दबाकर पर ऊपर उठाएं। पैर का जमीन से 30 अंश का कोण रहेगा। 2 बाद में 60° के कोन में रुख जाना है। 3 जमीन पर हाथ की कोनी रखकर हाथ के पंजे से कमर को ऊपर उठाकर पैर शिर के तरफ लाओ।  4 पैर आकाश की तरफ रख कर शरीर को स्थिर  रखें। पीठ का जमीन से 45 से 60 अंश का कोण बना रहे। आंखें बंद कर सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। 5 आसन छोड़ते समय आखे खोलें। पैर हल्के से सर की तरफ लाओ। 6 कमर का हाथ निकालकर जमीन पर रखें। पैर 90 अंश में लाएंगे। 7 बाद में पैर 60°की कोंन में लाए।  8 धीरे-धीरे पैर नीचे जमीन पर टिककर शरीर ढीला छोड़ कर शवासन में चले जाए।   लाभ 1 पूरे शरीर का रक्तचाप सुधरता है। रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है। 2 हृदय,फेफड़े की कार्य क्षमता बढ़ती है। 3 पेट के स्नायु की क्षमता बढ़ती है।  दक्षता। 1उच्च तथा कम रक्तचाप की। शिकायत वाले व्यक्ति यह आसन ना करें।

पश्चिमोत्तानासन करने की विधि और लाभ।

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  पश्चिमोत्तानासन।  पश्चिम मतलब पीछे की बाजू इस आसन में शरीर का पिछला हिस्सा खिंचे  जाता है इसलिए इसे। पश्चिमोत्तानासन कहते हैं  आसन स्थिति। 1 दोनों पैर सीधे लंबे फैला कर बैठना है।  2 दोनों हाथ कमर के बाजू में रखना है। 3 पीठ और गर्दन सीधी रखना है इस स्थिति को दंडासन अथवा आसन की पूर्व स्थिति कहा जाता है।  आसन कृति  1 दोनों हाथ सीधे सर पर लो। 2 धीरे से कमर से झुककर दोनों पैर के अंगूठे पकड़ना है।  3 कुछ देर ऐसी स्थिति में रुकना है। 4 आगे सर को घुटने को लगाने की कोशिश करनी है। 5 दोनों हाथ की कोनी जमीन को स्पर्श होने दो। 6 इस स्थिति में एकाग्र होने की कोशिश करें। आसन छोड़ना। 1 पहले हाथ का खिंचाव  कम करें। 2 हल्के से पैर के अंगूठे छोड़ दे। 3 पूर्व स्थिति में आने के लिए हाथ, छाती, सर को  सीधा करे। 4 दोनों हाथ नीचे लो। आसन के लाभ। 1 कमर के पास की और जांघ की चर्बी कम होती है। कंधे, दंड और पीठ के स्नायु मजबूत बनते हैं।  3 यकृत, प्लीहा, किडनी इन पेट के इन्द्रीयों की मसाज होकर रक्तचाप सुधरता है। 4 रीड की हड्डी में ताकत बढ़ती है। 5 जांघ और पैर के बाकी हिस्से में खिंचाव की वजह से वह रक्तचाप अच्छा हो

सूर्य नमस्कार करने की विधि और लाभ।

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    सूर्य नमस्कार प्राचीन व्यायाम पद्धति है। इसमें आसन किये जाते हैं और सांसों का भी नियंत्रण होता है। इसलिए इस क्रिया को आसन और प्राणायाम का संतुलन रूप समझा जाता है। सूर्य नमस्कार करनेकी 10 और 12 अवस्था प्रचलित है इसमें छोटे बच्चे लड़कियां और लडके पहली पद्धत और प्रौढ़ औरतें और  ज्यादा उमर के पुरूषों को दूसरी पद्धत यानी 12 अवस्था वाली पद्धत ज्यादा फायदेशीर होती है। सूर्य नमस्कार करने से शरीर के ऊपर होने वाले परिणाम। सूर्यनमस्कार करते समय रीढ़ की हड्डी को आगे पीछे मोड़ा जाता है। इसके साथ ही पैर को भी आगे पीछे खिंचाव देने से अनेक स्नायु संकुचन और प्रसारण होने से रीढ़ की हड्डी में। लचीलापन बढ़कर रक्तचाप बढ़ता है। शंकाशन जैसे से आसान स्थिति में घुटनों का दबाव पेट पर पड़ने से जठर,  यकृत, प्लीहा, किडनी और गर्भाशय आदि पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इससे उनकी कार्य क्षमता बढ़ती है। भुजंगासन स्थिति में गर्दन, छाती, पेट और पेट के अंत ग्रंथि, हृद्य, आंत, मूत्राशय, आदि अवयव का कार्य सुचारुू रूप से चलने में मदद होती है। दंड करते समय कंधे और छाती के स्नायु मजबूत बनते हैं। इससे हृदय और उसकी क्षमता बढ़ने म

योगाभ्यास के लाभ और जानकारी।

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  योगाभ्यास हम तंदुरुस्त रहने के लिए खेल, व्ययामप्रकार, सूर्यनमस्कार आदि का प्रयोग करते हैं। इसके अलावा योग का अभ्यास करने से भी हम शरीर और मन का संतुलन का विकास कर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं। योग आसनों का नियमीत सराव से हमारा शरीर, लचीला और रक्त संचार सुचारू रूप से काम करता है। इस वजह से हम रोग होने से प्रतिबंध लगा सकते हैं। शिवाय प्राणायाम से सांसों पर नियंत्रण कर मन शांती, एकाग्रता और बुद्धि का भी विकास होता है। योग करने से अपना व्यतिमत्व शारिरिक मानशिक सामाजिक भावनिक और आध्यात्मिक ऐसे विविध गुणों का समुच्चय एवं एकता निर्माण का सामर्थ्य भी योग शिक्षा मे है। योगाभ्यास के फायदे 1 शरीर और मन स्वास्थ्य में सुधार होता है। 2 पीठ की रीड की हड्डी में लचीलापन आता है। 3 शरीर के अंत इंद्रियों का कार्य सुधरता है। 4 रक्ताभिसरण कार्य सुचारु रुप से होता है। 5 रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है। 6 मानसिक तनाव में कमी आती है। 7 काम में एकाग्रता बढ़ती   है। 8 थकान कम होती है। 9 बौद्धिक क्षमता का विकास होता है। 10 शारीरिक और मानसिक संतुलन होने से व्यक्तिमत्व का विकास होता है। आसन क्या हो

गोला फेक (shot put) की विस्तृत जानकारी।

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  गोला फेंक एथलेटिक्स स्पर्धा में थ्रोइंग इवेंट में गोलाफेंक (shotput ) एक महत्वपूर्ण खेल है। इसके खिलाड़ी काफी हट्टे कट्टे और मजबूत होते हैं और अपनी ताकत का उपयोग कर गोले को ज्यादा से ज्यादा दूर फेंक कर अपनी ताकत का परिचय देते हैं। 17 वी सदी में इंग्लैंड के सैनिकों में दोनों हाथ से 25. 4 के. जी. वजनी गोला फेंकने की प्रतियोगिता होती थी उसके बाद 1806 से पुरुषों की और 1948 से महिलाओं के लिए आधुनिक नियमानुसार स्पर्धा से शुरू हुई। गोला फेक गोला फेंका वर्तुल का घेरा। 2.135 मीटर होता है। इसका सेक्टर कोन 34.92° होता है।  स्टॉप बोर्ड  स्टॉप बोर्ड की लंबाई 1.21 मी, 1.23 मीटर तक होती है।  चौड़ाई 11.2 सेंटीमीटर से 11.6 सेंटीमीटर तक होती है। और इसकी ऊंचाई 10 सेंटीमीटर होती है।  गोला पीतल अथवा लोहे का होता है जिसका वजन 7.260 से 7.265 किलोग्राम तक पुरुषों के लिए होता है। वहीं महिलाओं के लिए 4 किलोग्राम से लेकर 4.05 किलोग्राम तक होता है।  गोले का घेरा पुरुषों के लिए 11 से 13 सेंटीमीटर तक होता है वहीं महिलाओं के लिए 9.5 से 11 सेंटीमीटर तक होता है। स्टॉप बोर्ड  स्टॉप बोर्ड को सफेद रंग दिया जाता है। स्ट