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थाली फेक की विस्तृत जानकाथालीरी।

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  थाली फेक 1 थालीफेक वर्तुल का व्यास 2. 50 मी.  सेक्टर कोन- 34.92°  वर्तुल के बाहर का कड़ा- जाड़ी 6 मी. मि.  कड़े को सफेद रंग दिया हुआ चाहिए।   थाली का वजन-  2 किलोग्राम पुरुष के लिए,  एक किलोग्राम महिलाओं के लिए ।  थाली का व्यास - 21. 9 से 22 . 1 सेंटीमीटर पुरुष के लिए । 18 .0 से 18. 2 सेंटीमीटर महिलाओं के लिए। 3 फेकि का वर्तुल जमीन से  2 सेंटीमीटर तक नीचे होता है। 3 सुरक्षा उपाय के लिए थाली फेक के लिये जाली का पिंजरा होना चाहिए। 4 थालिफेक के लिए शुरुआत में स्पर्धक वर्तुल में स्थिर होना चाहिये। 6  थाली फेकते समय अगर शरीर का स्पर्श कड़े  को होना चलता है। पर सामने के मैदान से स्पर्श होना फ़ाउल होता है। 7 थाली फेकने के बाद थाली का जमीन से से स्पर्श होने की बाद स्पर्धक वर्तुल के हाफ से बाहर निकल सकता है। 8 थाली फेक के लिये U आकार का पिजरे का उपयोग सुरक्षितता के दृस्टि से अच्छा होता है। 9 थाली फेकने के बाद सेक्टर लाइन के अंदर गिरना चहिय। 10 फेक का पहला टप्पा अंदर गिरने के बाद थाली बाहर जाने पर सही करार दिया जाता है।

विद्यार्थीयो की बैठक की अवस्था कैसी हो?

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  विद्यार्थीयो की बैठने की अवस्था।  बैठने के तीन प्रकार मुद्राय (अंगविन्यास )होती हैं। 1 सामान्य बैठक  2 पढ़ते समय की बैठक और  3 लिखते समय की बैठक   1 सामान्य बैठक -  यह बैठने की ऐसी सामान्य अवस्था है जिसमें बैठने वाला ऐसी अवस्था बनाता है जिसमें उसकी पेसीओ को कमसे - कम तनाव तथा खिंचाव का अनुभव हो। सामान्य बैठक की अवस्था में शरीर के अंग सिर, कंदे तथा कमर ( हिप्स) एक-दूसरे से श्रेणीबद्ध रहकर ठीक प्रकार से स्थिती में धड़, सिर तथा कंधों को प्राकृतिक अवस्था में सतर में स्थिती, सहज अवस्था मे रहने चाहिए  खासतौर से प्लबर स्पाईन की वक्रता को दूर करते हुए स्पाइन की प्राकृतिक वक्रता को बनाए रखना चाहिए। सामान्य बैठक में जांघे  सम - समांतर, टांगे वर्टिकल तथा पंजे जमीन पर चपटी स्थिति में विश्राम अवस्था में  रहनी चाहिए। हाथ की कोहनीयो से थोड़े सटे होकर जांघो के ऊपर रहे।  बार-बार स्थिति बदलते रहने से थकान पैदा नहीं होती तथा किसी व्यक्ति को कुर्सी पर बैठने के बाद भी उसे सख्त स्थिति में बैठे रहने की बजाय हिलते - डुलते रहना चाहिए। बैठने वाला व्यक्ति अपने शरीर के भार को सहारा देने के लिए अधीक स्थान घेरता 

मानवी शरीर पर व्यायाम का होनेवाला प्रभाव।

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  मानवी शरीर पर व्यायाम का होनेवाला प्रभाव।   व्यायाम का शरीर के विभिन्न अंगों पर प्रभाव पड़ता है, क्योंकि हर एक क्रिया भी अलग- अलग  होती है। इसलिए इसके प्रभाव भी अलग-अलग होते हैं। 1 रक्त संचार पर होनेवाले प्रभाव।  रक्त संचार ज्यादा होने से हृदय की गति बढ़ती है। वह भी अपनी शक्ति एवं स्पंदन को बढ़ाना शुरू कर देता हैं, किंतु कुछ समय बाद वह मंद पड़ जाती है। 2 त्वचा पर होनेवाला प्रभाव।  व्यायाम त्वचा की कांति को बढ़ावा देती है। इसका रंग लाल हो जाता है, क्योंकि शरीर में रक्त संचार की मात्रा ज्यादा हो जाती है,  और मनुष्य के शरीर से रक्त स्पष्ट झलकता है।   नियमित व्यायाम से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं। 1 व्यायाम से शरीर में फुर्ती बढ़ती है। 2 स्वास तंत्र में सुधार होता है।  3 शरिर स्वस्थ एवं बलीष्ठ बनता है । 4 रक्त का शुद्धिकरण होता है।  5 शरीर की कार्य क्षमता बढ़ती है।